Friday, March 29, 2024
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UN में बोला भारत, सुरक्षा परिषद सुधार प्रारूप में सार्वभौमिक विचारों को जगह दी जाए

भारत ने कहा कि किसी को भी यह जिद नहीं करनी चाहिए कि उसके विचारों और विकल्पों को दूसरे पर तरजीह दी जाए...

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 02, 2018 19:48 IST
Syed Akbaruddin | AP photo- India TV Hindi
Syed Akbaruddin | AP photo

संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि सुरक्षा परिषद सुधारों से संबंधित मसौदे में देशों के विभिन्न भिन्न विचारों और अलग-अलग विकल्पों को शामिल किया जाना चाहिए। भारत ने एक ऐसे समावेशी और समग्र दस्तावेज की मांग की जो सभी पक्षों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों पर पारदर्शी तरीके से अपनी बात रखने में सक्षम बनाए और कहा कि किसी को भी यह जिद नहीं करनी चाहिए कि उसके विचारों और विकल्पों को दूसरे पर तरजीह दी जाए।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य उपलब्ध दस्तावेजीकरण पर आगे काम करने के संदर्भ में निरंतरता और शैली के संदर्भ में बदलाव चाहते हैं, ताकि दस्तावेज को लेकर बातचीत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज का अभाव सुरक्षा परिषद सुधारों की जारी प्रक्रिया में एक रुकावट है। अकबरुद्दीन ने कहा, ‘हम एक दस्तावेज का एक तय प्रारूप चाहते हैं जिस पर इस आम समझ के साथ बातचीत हो सके कि जब तक सब सहमत नहीं हों, तब तक किसी बात पर सहमति नहीं बने।’ उन्होंने सुरक्षा परिषद में सदस्यों की संख्या बढ़ाने और समान प्रतिनिधित्व एवं संबंधित मामलों के सवाल पर अंतरसरकारी वार्ताओं की पहली बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही।

अकबरुद्दीन ने इसके सह अध्यक्षों से अपील की कि वे आगामी बैठक से एक समावेशी एवं समग्र दस्तावेज पर आधारित एक सामान्य प्रक्रिया पर काम करें जो सदस्य देशों को शीघ्र सुधार के लक्ष्य के साथ दस्तावेज में पारदर्शी तरीके से बातचीत करने में सक्षम बनाए। उन्होंने कहा, ‘ऐसा दस्तावेज हमें यह स्पष्ट करेगा कि हम कहां खड़े हैं, हमारे पास क्या विकल्प हैं, कौन क्या प्रस्ताव रख रहा है और वे आपसी रूप से कैसे जुड़े हुए हैं।’ अकबरुद्दीन ने सुरक्षा परिषद में शीघ्र सुधारों पर सदस्य देशों से अलग सोच और लचीलापन अपनाने की अपील करने वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष मिरोस्लाव लाजकाक के बयान का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सह अध्यक्षों ने पिछले तीन सत्रों में से हर सत्र में दस्तावेज एवं पत्र रखे और सदस्य देशों ने हमें जमा कराए गए दस्तावेज पर चर्चा की। अकबरुद्दीन ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि आप एकदम नजरिए पर काम करने के बजाए इन दस्तावेजों पर काम करें।’

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