Friday, March 29, 2024
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पाकिस्तान: जनगणना में शामिल न किए जाने से निराश हैं सिख

पाकिस्तान के पेशावर में सिख समुदाय के सदस्यों और नेताओं ने राष्ट्रीय जनगणना में शामिल न किए जाने पर हताशा जाहिर की है।

IANS IANS
Published on: March 19, 2017 20:00 IST
Representational Image | AP Photo- India TV Hindi
Representational Image | AP Photo

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पेशावर में सिख समुदाय के सदस्यों और नेताओं ने राष्ट्रीय जनगणना में शामिल न किए जाने पर हताशा जाहिर की है। सिख नेताओं का कहना है कि उन्हें पाकिस्तान में 19 वर्षो बाद किए जा रहे राष्ट्रीय जनगणना में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न मिलने की आशंका है। शनिवार को सिख समिति के चेयरमैन रादेश सिंह टोनी ने कहा, ‘इस समय चल रही राष्ट्रीय जनगणना में संबंधित विभाग ने सिख अल्पसंख्यकों को शामिल नहीं किया है। हमारे लिए यह न सिर्फ दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि पूरे समुदाय के लिए चिंताजनक है कि हम जनगणना से बाहर रह जाएंगे।’

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उन्होंने शिकायती लहजे में कहा कि पाकिस्तान में सिख समुदाय की बड़ी आबादी रहती है, लेकिन जनगणना के लिए तैयार फॉर्म में धर्म वाले वर्ग में सिखों के लिए अलग वर्ग नहीं बनाया गया है। उन्होंने बताया कि सिख समुदाय को 'अन्य' वर्ग में रखा गया है, जो देश में सिखों की सही स्थिति का आकलन पेश नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा, ‘यह अन्यायपूर्ण है, हमें हमारे अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।’ 500 वर्ष पहले सिखों का जहां उदय हुआ, वह स्थान पाकिस्तान में है। 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के समय पाकिस्तान के हिस्से में रह रहे सिखों की बड़ी आबादी विस्थापित होकर भारत चली गई थी।

पेशावर में सिखों की मौजूदा आबादी 20,000 के करीब है और अधिकतर सिख समुदाय पेशावर के शांत पश्चिमोत्तर इलाके में बसा हुआ है। लेकिन पिछले एक दशक से यह इलाका भी इस्लामिक चरमपंथ के निशाने पर बना हुआ है, जिसके चलते सिखों को पेशावर की अफगानिस्तान सीमा से सटे हिस्से की ओर पलायन करना पड़ा है। टोनी ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश और पेशावर के मुख्य न्यायाधीश तथा सिंध उच्च न्यायालय को लिखकर आग्रह किया है कि सिखों की गिनती उनके धर्म के तहत की जाए। 

वहीं समाचार पत्र के अनुसार, जनगणना से जुड़े एक प्रवक्ता हबीबुल्ला खां ने स्वीकार किया है कि जनगणना अधिकारियों की गलती से ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘जी हां, पाकिस्तान में सिखों की अच्छी-खासी आबादी निवास करती है, लेकिन हम उन्हें जनगणना में शामिल करने में गलती कर गए।’ उन्होंने बताया कि जनगणना के फॉर्मों की छपाई 2007 में हुई थी, तब 120 सदस्यीय तकनीकी समिति की सिफारिश पर सिर्फ 5 धर्मों को शामिल किया गया था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि 2007 में सिखों की आबादी मामूली रही होगी, लेकिन समय के साथ अब उनकी आबादी काफी बढ़ चुकी है।

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