इस्लामाबाद: पाकिस्तान के चीफ जस्टिस साकिब निसार ने सोमवार को जजों को ‘असली शेर’ बताकर उनकी तारीफ की। उन्होंने कहा कि अदालत अपने खिलाफ बयानों को लेकर संयम बरत रही है। अदालत का यह बयान वस्तुत: पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के संदर्भ में आया है जो पिछले साल पद से अपदस्थ होने के बाद से न्यायपालिका विरोधी बयान दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 68 वर्षीय शरीफ को उनके समर्थक ‘पंजाब का शेर’ कहते हैं और उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) का चुनाव चिह्न भी शेर है। चीफ जस्टिस निसार ने कहा, ‘मैं किसी शेर को नहीं जानता।’ उन्होंने साथी न्यायाधीशों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘ये असली शेर हैं।’ चीफ जस्टिस 3 सदस्यीय बेंच की अध्यक्षता कर रहे थे।
जियो टीवी के अनुसार उन्होंने कहा, ‘बड़ों को जो सम्मान दिया जाता है, उतना ही सम्मान हम लोगों को भी दिया जाना चाहिए।’ चीफ जस्टिस ने मीडिया आयोग मामले में सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर और अबसार आलम ने 2013 में याचिका दायर की थी, जिसमें मीडिया के सामने मुद्दों और सरकार के मीडिया को प्रभावित करने के लिए ‘गुप्त कोष’ का इस्तेमाल करने का मामला उठाया गया है। जस्टिस निसार ने कहा कि अदालत धैर्य दिखा रही है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 62 मामले में फैसले के बाद शुक्रवार को शीर्ष अदालत के बाहर न्यायपालिका विरोधी नारे लगाए गए थे। गौरतलब है कि कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 62 के तहत अयोग्य ठहराया गया व्यक्ति कभी चुनाव नहीं लड़ सकता है।
न्यायपालिका के आलोचकों का उल्लेख करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि वे महिलाओं की ओट लेकर छिप जाते हैं, लेकिन अगर उनके भीतर कोई सम्मान होगा तो वे खुद सामने आएंगे। चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (PEMRA) पर से सरकार का नियंत्रण खत्म करके संस्था को स्वतंत्र बनाना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘इस मुद्दे को लेकर सरकार पर कोई तलवार नहीं लटक रही है, लेकिन इसे किया जाना चाहिए।’ सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल राणा वकार ने अदालत को सूचित किया कि सरकार ने 7 सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसमें पत्रकार और पाकिस्तान ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शामिल हैं।