काला नमक गैर-बासमती चावल की एक किस्म है, जिसका एक्सपोर्ट (निर्यात) प्रतिबंधित है। इसे बेहतर पोषण मूल्य के कारण जाना जाता है। काला नमक चावल अपनी गुणवत्ता विशेषताओं के कारण एक बेहतर विकल्प माना जाता है।
भारत ने घरेलू जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए चावल के बिक्री पर रोक लगा रखी है। इस कारण कंगाल पाकिस्तान को अपने चावल बेचने का मौका मिल गया है। वह चावल बेचकर मोटा मुनाफ कमा रहा है। हालांकि खुद उसके देश में चावल की डिमांड बढ़ रही है।
भारत के गैर बासमती चावल निर्यात पर बैन से पाकिस्तान को काफी लाभ हुआ है। जानिए कैसे उसे फायदा पहुंचा है। दरअसल, पाकिस्तान दुनिया का चौथा सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। वहीं भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है।
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 4.8 अरब डॉलर के बासमती चावल का निर्यात किया था। मात्रा में यह निर्यात 45.6 लाख टन था।
अमेरिका की एक वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ ने कहा है कि भारत ने अमेरिका से मदद लेने के बाद खाद्य सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनने का लंबा रास्ता तय किया है।
भारत द्वारा गैर बासमती चावल निर्यात पर प्रतिबंध से पाकिस्तान के निर्यात में बढ़ावा होने की संभावना है। इस उम्मीद से कंगाल पाकिस्तान बेहद खुश है।
भारत ने अपने देश के लोगों की आगामी त्योहारी जरूरतों को देखते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। इस कदम से अमेरिका में खलबली मच गई है। अमेरिकी शहरों के बाजारों में भीड़ लग गई है। दुनिया के कई देशों पर भी इस बैन का असर पड़ा है। जानिए किस चीज पर और क्यों लगाया है बैन? पढ़िए पूरी खबर।
Fear of Global Inflation: भारत सरकार ने हाल ही में देश में अस्थिर खुदरा कीमतों को स्थिर करने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। इससे ग्लोबल महंगाई बढ़ सकता है।
India Ban Export: भारत ने पिछले साल 10.3 मिलियन टन गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात किया और वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं के पास इस अंतर को भरने की अतिरिक्त क्षमता नहीं थी।
भारत 140 से भी अधिक देशों को चावल बेचता है। भारत ने वर्ष 2022—23 में रिकॉर्ड 1308.37 लाख टन चावल का निर्यात किया था। लेकिन गैर बासमती चावल निर्यात करने पर भारत ने रोक लगा दी है।
भारत में चावल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने यह बैन लगाया है। पिछले दस दिन में देशभर में चावल की कीमत में 20 फीसदी तेजी आई है।
भारतीय चावल निर्यातकों के लगभग 700 करोड़ रुपये ईरान पर बकाया हैं। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन यानी एआईआरइए ने ईरान के गवर्नमेंट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन को अपने इस फैसले के बारे में बता दिया है। एआईआरइए ने ईरानी गवर्नमेंट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन से कहा है कि ईरान लेटेस्ट निर्यात का भी भुगतान करने में विफल रहा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गोबिंदभोग किस्त के चावल पर शुल्क घटाने का अनुरोध किया है। ममता के अनुसार निर्यात पर शुल्क लगने से कारोबारियों को नुकसान हो रहा है।
सरकार ने खुदरा दाम को काबू में रखने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के इरादे से टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
Rice Production: देश में केंद्र ने शुक्रवार से चावल निर्यात (Rice Export) पर प्रतिबंध लगा दिया है और कमोडिटी के विभिन्न ग्रेडों पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क भी लगाया है।
Rice Export Ban: गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने के बाद सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से टुकड़ा चावल (Rice) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक है।
मंत्रालय भारत से तीन लाख टन और म्यामां से एक लाख टन चावल आयात करने के लिए कदम उठा रहा है।
भारत की चावल निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने के लिए ’लाल चावल’ की पहली खेप को आज संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए रवाना कर दिया गया। 'लाल चावल' असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में उगाया जाता है, बिना किसी रासायनिक उर्वरक के उपयोग के।
एपीडा के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 महीने यानि अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान देश से 115.97 लाख टन चावल एक्सपोर्ट हुआ है जबकि पिछले साल इस दौरान सिर्फ 64.30 लाख टन चावल का निर्यात हो पाया था।
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