उपभोग मांग में ग्रोथ बरकरार रहने की उम्मीद है। ऑटो बिक्री, ईंधन खपत और यूपीआई लेनदेन में हाई ग्रोथ के साथ शहरी मांग की स्थिति लचीली बनी हुई है।
एशियाई विकास बैंक ने चालू वित्तवर्ष के लिए भारत की मुद्रास्फीति पर अपने पहले के पूर्वानुमान को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों का उत्पादन इस साल अक्टूबर में 12.1 प्रतिशत बढ़ा। पिछले साल समान माह में इसमें 0.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। बृहस्पतिवार को जारी आधिकारिक आंकड़े में यह जानकारी दी गई। समीक्षाधीन महीने में उर्वरक को छोड़कर सभी क्षेत्रों में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई।
भारत की GDP वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में 7.8 प्रतिशत रही है, जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह 13.1 फीसदी थी।
भारत की अर्थव्यवस्था इस समय वैश्विक कारणों के चलते महंगाई और गिरती ग्रोथ का सामना कर रही है। यह सरकार के लिए दोहरी चुनौती बनकर सामने आ रहा है
चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा एनएसओ ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 की वृद्धि दर को 8.7 प्रतिशत से संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है।
देश में सरकार के द्वारा टीकाकरण को लेकर चलाए जा रहे अभियान का असर देखा जा रहा है। आईसीआरए की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दोहरे अंकों में 13 प्रतिशत पर बढ़ने की उम्मीद है।
भारत चालू वित्त वर्ष में 9.5 फीसदी और अगले वित्त वर्ष में 8.5 फीसदी की वृद्धिदर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में लगातार दो तिमाहियों के दौरान नकारात्मक वृद्धि रहेगी।
फिच सॉल्युशन ने सोमवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमानों में कटौती करते हुए इसे 1.8 प्रतिशत कर दिया।
कोरोना वायरस महामारी के कारण 'लॉकडाउन' के चलते अगले वित्त वर्ष 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर तेजी से घटकर 2.6 प्रतिशत पर आ सकती है।
2020 के लिए 5.3 प्रतिशत वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान 2019 के 5.3 प्रतिशत वृद्धि अनुमान के बराबर और 2018 में 7.4 प्रतिशत की हालिस की गई वृद्धि दर से काफी कम है।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 5 प्रतिशत रही। मूडीज ने कहा है कि कमजोर अर्थव्यवस्था और कर्ज वृद्धि में नरमी का एक-दूसरे पर प्रतिकूल असर है।
सरकार ने संसद में शुक्रवार को पेश आर्थिक समीक्षा के जरिए देश की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान के तौर तरीके और इसके आंकड़ों की विश्वसनीयता को लेकर चल रही बहस को विराम देने का प्रयास किया है।
आईएमएफ के बाद अब वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने भी भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर अपना अनुमान घटाते हुए बड़ा बयान दिया है।
आईजीआईडीआर के प्रोफेसर आर. नागराज का मानना है कि 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य अत्यंत महत्वाकांक्षीय है।
विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2019-2020 में भारत के लिए पांच प्रतिशत विकास दर का अनुमान लगाया है।
सीईबीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'भारत पांच हजार अरब डॉलर की जीडीपी 2026 में हासिल कर लेगा, सरकार के तय लक्ष्य के मुकाबले दो साल बाद।'
ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैश ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है। हालांकि कंपनी ने अगले साल इक्विटी सूचकांक में 8.5 प्रतिशत वृद्धि की संभावना जतायी है।
निशिकांत दुबे ने संसद में कहा कि आज की नई थ्योरी है कि सस्टेनेबल इकोनोमिक वेलफेयर आम आदमी का हो रहा है या नहीं हो रहा। GDP से ज्यादा जरूरी है कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट, हैपिनेस हो रहा है की नहीं।
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