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FIFA World Cup 2018: जब दुश्मन के कटे सिर से खेला जाता था फ़ुटबॉल का खेल

फीफा वर्ल्ड कप 2018 में कुछ ही दिन बाकी हैं. खेल के महाकुंभ की शुरुआत 14 जून को मेंज़बान रुस और सउदी अरब के बीच मैच से होगी. इस बार प्रतियोगिता में अत्याधुनिक 'टेलस्टार-18' गेंद का इस्तेमाल होगा जिसमें चिप लगी होगी. इस तरह पहली बार फीफा वर्ल्ड कप में चिप लगी गेंद का इस्तेमाल होगा

India TV Sports Desk Written by: India TV Sports Desk
Updated on: June 13, 2018 14:21 IST
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फीफा वर्ल्ड कप 2018 में कुछ ही दिन बाकी हैं. खेल के महाकुंभ की शुरुआत 14 जून को मेंज़बान रुस और सउदी अरब के बीच मैच से होगी. इस बार प्रतियोगिता में अत्याधुनिक 'टेलस्टार-18' गेंद का इस्तेमाल होगा जिसमें चिप लगी होगी. इस तरह पहली बार फीफा वर्ल्ड कप में चिप लगी गेंद का इस्तेमाल होगा. लेकिन एक समय ऐसा था जब युद्ध जीतने पर विरोधियों के कटे हुए सिर को किक करने जैसा खेल प्रचलन में था.

फुटबॉल की सबसे पुरानी गेंद करीब साढ़े चार सौ साल पुरानी है लेकिन फुटबॉल का इतिहास करीब तीन हजार साल पुराना है. दुनिया की सबसे पुरानी फुटबॉल बॉल और ट्रॉफी स्कॉटलैंड के ग्लासगो म्यूजियम में रखी है. ये बॉल इंग्लैंड स्टर्लिंग कैसल के क्वीन चैंबर में मिली थी. माना जाता है कि यह 1540 के दशक में बनी थी। इसे बनाने में चमड़े का इस्तेमाल हुआ था.

पहले युद्ध जीतने के बाद फ़ौजी विरोधी फ़ौजियों के कटे सिर से फुटबॉल खेला करते थे. ऐतिहासिक संदर्भों से जो तथ्य मिलते हैं, उसके मुताबिक गेंद के तौर पर मानव या जानवरों की खोपड़ी, जानवरों के ब्लैडर, कपड़ों को सिल कर बनाए गट्‌ठर का इस्तेमाल होता रहा है. चीन के हान साम्राज्य (करीब 2250 साल पहले) में जानवरों के चमड़े से बनी गेंद से फुटबॉल जैसा खेल प्रचलन में था. फुटबॉल की वैश्विक संस्था फीफा इसे फुटबॉल के सबसे पुराने नियमबद्ध फॉर्मेट के तौर पर मान्यता देती है.

मध्यकाल में जानवरों (विशेषकर सूअर) के ब्लैडर को चमड़े से कवर किया जाने लगा ताकि गेंद को बेहतर शेप मिल सके. 19वीं शताब्दी में रबड़ के ब्लैडर बनने तक फुटबॉल की गेंद बनाने की यही प्रक्रिया जारी रही.

पहली रबर गेंद 1836 में ब्रिटेन के चार्ल्स गुडईयर ने बनाई थी. गुडईयर ने पहली बार जानवर के ब्लैडर की जगह रबर की गेंद बनाई. उन्होंने इसका पेटेंट भी कराया था. 1862 में एचजे लिंडन ने रबर के फुलाए जाने वाले ब्लैडर बनाए. उनकी पत्नी फुटबॉल के लिए जानवरों के ब्लैडर फूंक कर फुलाती थीं. उन्हें फेफड़े की बीमारी हो गईं. तब लिंडन ने रबर के फुलाए जा सकने वाले ब्लैडर बनाए.

1863 में नए-नए अस्तित्व में आए इंग्लिश फुटबॉल एसोसिएशन ने फुटबॉल के नियम बनाए. हालांकि, उन नियमों में गेंद के आकार के बारे में कुछ नहीं कहा गया था. 1872 में नियम संशोधित किए गए और तय किया गया कि गेंद निश्चित रूप से गोल होगी (स्फेरिकल). इसका सरकमफेरेंस 27 से 28 इंच (68.6 सेंटीमीटर से 71.1 सेंटीमीटर) होगा. यही नियम आज भी जारी है.

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