उभरते हुए भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन जकार्ता में एशियाई जूनियर चैम्पियन के फाइनल में मौजूदा जूनियर विश्व चैम्पियन थाईलैंड के कुनलावुत वितिदसर्न को सीधे गेम में हराकर इस खिताब को जीतने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी बने। छठी वरीयता प्राप्त उत्तराखंड के इस खिलाड़ी ने शीर्ष वरीय वितिदसर्न को 46 मिनट तक चले करीबी मुकाबले में 21-19, 21-18 से शिकस्त देकर उलटफेर किया। लक्ष्य ने पिछले साल इस टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता था। जीत के बाद लक्ष्य ने कहा, ‘‘मैं ये टूर्नामेंट जीतकर खुश हूं। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ेगा। मैं टीम स्पर्धा में खेला और फिर व्यक्तिगत स्पर्धा में इस लिए मेरे लिए ये लंबा टूर्नामेंट रहा। हर मैच के बाद मेरा ध्यान थकान से उबरने पर था। मैं खुश हूं कि अच्छा खेल सका और जीत दर्ज कर सका।’’
लक्ष्य से पहले दिवंगत गौतम ठक्कर (1965) और ओलंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधू (2012) ने इस प्रतिष्ठित खिताब को जीता है। सिंधू ने इसमें 2011 में कांस्य पदक भी अपने नाम किया था। समीर वर्मा में 2011 और 2012 में क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीता था। प्रणव चोपड़ा और प्राजक्ता सावंत की जोड़ी 2009 में कांस्य पदक जीतने में सफल रही थी।
लक्ष्य ने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए दूसरी वरीयता प्राप्त चीन के ली शिफेंग को मात देने के बाद सेमीफाइनल में चौथी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी इंडोनेशिया के इखसान लियोनार्डो इमैन्युअल रूम्बे को शिकस्त दी। लक्ष्य सेन के कोच संजय मिश्रा ने इस जीत पर कहा, ‘‘कोई भी टूर्नामेंट जीतना बड़ी बात होती है और उसने ऐसे टूर्नामेंट में स्वर्ण जीता जहां दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी खेल रहे थे। हमें पता है एशिया बैडमिंटन का केन्द्र है और एशियाई खिताब जीतने से उसका मनोबल काफी बढ़ेगा।’’