Wednesday, April 24, 2024
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विश्व कप से बाहर होने के बाद इंग्लैंड में छुट्टियां मनाने के प्लान के साथ वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने पहुंची थी टीम

2 जून 1983 को कपिल एंड कपंनी वर्ल्ड कप के लिए इंग्लैंड रवाना हुई लेकिन तब इस टीम सिर्फ एक दल के तौर पर देखा जा रहा था जो इंग्लैंड में अपनी हाजिरी लगाने जा रहा था।

Shradha Bagdwal Written by: Shradha Bagdwal
Published on: June 25, 2018 13:36 IST
कपिल देव- India TV Hindi
कपिल देव

क्रिकेट को जीने वाले इस देश में आज यानि 25 जून का दिन बेदह अहम है। हम आपको बताएंगे 1983 विश्व कप की पूरी कहानी...कैसे एक कमजोर टीम वर्ल्ड चैंपियन बनीं और वहीं से बदल गया भारतीय क्रिकेट।

1983 ये साल क्रिकेट अलावा भी देश में कई अहम घटनाओं के लिए याद किया जाता है। हॉकी में अपनी बादशाहत बरकरार रखने वाली भारतीय हॉकी टीम वर्ल्ड कप हार चुकी थी। देश में सांप्रदायिक हिंसा अपने चरम पर थी। ऐसे माहौल में किसको इस बात से फर्क पड़ रहा था कि भारतीय क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप खेलने जा रही है। 

2 जून 1983 को कपिल एंड कपंनी वर्ल्ड कप के लिए इंग्लैंड रवाना हुई लेकिन तब इस टीम सिर्फ एक दल के तौर पर देखा जा रहा था जो इंग्लैंड में अपनी हाजिरी लगाने जा रहा था। यहां तक कि भारतीय टीम ने तो वर्ल्ड से बाहर होने के बाद इंग्लैंड में छुट्टियां मनाने का प्लान भी बनाया था। लेकिन इस सबके बावजूद क्रिकेट के प्रति इन खिलाड़ियों के जुनून ने इन्हें साथ जोड़कर रखा।

वो घटना जिसके बाद भारतीय खिलाड़ियों ने दिखाया जज्बा

क्रिकेट बाइबव मानी जाने वाली मैगजीन विजडन के संपादक डेविड फ्रिथ ने अपने लेख में भारतीय टीम का मजाक उड़ाते हुए लिखा ये टीम अभीतक वनडे क्रिकेट को अपना नहीं पाई... ये वर्ल्ड कप में सिर्फ दस्तूर निभाने आई है। इस टीम को वर्ल्ड कप से अपना नाम वापस ले लेना चाहिए। 

जी हां फ्रिथ के इसी लेख ने आग में घी का काम किया। जिसके बाद कपिल एंड कंपनी ने अपनी तरह से इसे जवाब देने की ठानी। 1983 वर्ल्ड कप से पहले भारतीय टीम का वनडे रिकॉर्ड बेहद खराब था। वर्ल्ड कप से पहले खेले गए 40 वनडे मैचों में से भारत को सिर्फ 12 में जीत मिली। जबकि 28 मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा। 

पहला मुकाबला वेस्टइंडीस से
पहले ही मुकाबले में कमजोर मानी जाने वाले भारतीय के सामने सबसे मजबूत टीम वेस्टइंडीज की चुनौती थी। वेस्टइंडीज के पास वर्ल्ड गेंदबाजों की पूरी फौज थी। लेकिन पहले ही मुकाबले में भारत ने 2 बार की वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज को 34 रन से हराकर अपने इरादे जाहिर कर दिए। 

वेस्टइंडीज के खिलाफ जीत के वर्ल्ड कप आगाज करने वाली भारतीय टीम ने अगले मुकाबले में जिमब्बावे को रौंदा। इसके बाद भारत के अगले दो मुकाबले ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज से थे लेकिन इससे पहले ही सुनील गावस्कर बीमार पड़ गए और भारत अपने दोनों मुकाबले हार गया। 

ऐसे मिला 1983 वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल का टिकट
टीम मीटिंग में तय हुआ कि अगर जिमब्बावे के खिलाफ भारत टॉस जीतेगा तो पहले बल्लेबाजी करेगा। भारतीय टीम टॉस जीतकर बल्लेबाजी करने उतरी लेकिन ये फैसला गलत साबित होते दिख रहा था क्योंकि 17 रन के अंदर आधी टीम पवेलियन लौट गई थी लेकिन टीम के कप्तान कपिल देव मैदान पर उतरे और उन्होंने आधे घंटे अदंर मैच का पूरा रूख पलट दिया। कपिल ने 138 गेंदों में 175 रन की पारी खेली। जिसकी वजह से भारत ने ये मैच 31 रन से जीता। इसके बाद अगले ही मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 118 रन से हराकर वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में जगह बनाई।

इसके बाद भारत ने सेमीफाइनल में अंग्रेजों को 6 विकेट से रौंदकर लगान वसूल किया। इसमें टीम इंडिया की जीत के हीरो रहे जिमी अमरनाथ। 

फाइनल भारत VS वेस्टइंडीज
अब भारत क्रिकेट के नक्शे में वर्ल्ड चैंपियन की पहचान तलाश रहा था। फाइनल में भारत पहले बल्लेबाजी करते हुए 183 रन पर ऑल आउट हो गया था। वेस्टइंडीज के सामने फाइनल में इतना कम लक्ष्य देने के बाद भारतीय टीम हौसले भी कमजोर हो चुके थे लेकिन गेंदबाजों ने हार नहीं मानी। सिंधु, अमरनाथ और मदनलाल की तिकड़ी वेस्टइंडीज पर भारी पड़ी। विवि रिचर्ड्सन के आउट होने के बाद वेस्टइंडीज की उम्मीदें धूमिल हो चुकी थी। भारत, वेस्टइंडीज को 43 रन से हराकर वर्ल्ड चैंपियन बना। 

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