आरबीआई ने पिछले सप्ताह बैंकों और एनबीएफसी के लिए असुरक्षित माने जाने वाले पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे लोन से जुड़े नियम को सख्त कर दिया। संशोधित मानदंड में जोखिम भार में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी गई।
आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.8 प्रतिशत रही है। यह पिछली चार तिमाहियों में सबसे ऊंची वृद्धि दर है।
Moody's Rating: मूडीज ने भारत की रेटिंग को बरकरार रखा है। लेकिन दो बातों को लेकर आगाह किया है। अगर सरकार इसपर काम करती है तो आगे बेहतर रिजल्ट देखने को मिल सकते हैं।
मूडीज को उम्मीद है कि अगले 12-18 महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहेगा और 2021-22 में अर्थव्यवस्था 9.3 प्रतिशत की ग्रोथ हासिल कर लेगी
एसएंडपी ने कहा कि हमने मार्च में घोषित चालू वित्त वर्ष में वृद्धि के लिए 11 फीसदी के पूर्वानुमान को घटाकर 9.5 फीसदी कर दिया है।
वायरस की वापसी से 2021 में भारत के वृद्धि पूर्वानुमानों को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है, हालांकि यह संभावना है कि आर्थिक नुकसान अप्रैल-जून तिमाही तक ही सीमित रहेगा।
मूडीज ने आगे कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट का अनुमान है, जबकि इसके बाद सुधार होगा
मूडीज ने उम्मीद जताई कि संक्रमण की मौजूदा लहर से निपटने के लिए एक देशव्यापी लॉकडाउन के विपरीत छोटे-छोटे कटेंटमेंट जोन पर जोर दिया जाएगा
मूडीज ने कहा है कि यदि कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर तेज होती है, तो इससे 2021 में सुधार के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।
मूडीज के मुताबिक एशिया प्रशांत क्षेत्र में बैंकों का बढ़ता एनपीए और बीमा कंपनियों का उतार-चढ़ाव वाला निवेश पोर्टफोलियो चिंता का विषय है। ऐसे में अगले दो साल के दौरान उभरते एशिया में बैंकों की पूंजी घटेगी।
दूसरे दौर की राहत में सरकारी कर्मचारियों को अवकाश यात्रा रियायत यानि एलटीसी के एवज में नकद वाउचर योजना और त्योहारों के लिए विशेष अग्रिम (फेस्टिवल एडवांस) देने का ऐलान किया गया है। इसके अलावा सरकार ने राज्यों को 12,000 करोड़ रुपये का ब्याजमुक्त कर्ज तथा 25,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त पूंजीगत खर्च करने की घोषणा की है।
अनुमानों के मुताबिक अगले वित्त वर्ष अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी देखने को मिलेगी। एजेंसी के मुताबिक तीसरी तिमाही से रिकवरी शुरू होगी और 2021-22 में अर्थव्यवस्था में बेस इफेक्ट की वजह से तेज बढ़त देखने को मिल सकती है।
केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा लॉकडाउन के कारण कमजोर राजस्व संग्रह के चलते वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों (अप्रैल- जुलाई) में ही पूरे साल के बजट अनुमान को पार कर गया है। वित्त वर्ष 2020- 21 के बजट में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
महामारी के वजह से पहले से दबाव सह रहे सरकारी बैंकों के NPA में बढ़त की आशंका
कोरोना की वजह से होने वाले बदलावों से एशिया के कुछ विकासशील देशों को फायदा संभव
2021 में अर्थव्यवस्था के 6.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज करने का अनुमान
मूडीज ने इस बात का विशेष उल्लेख किया है कि रेडिंग घटाना पूरी तरह से कोविड-19 प्रकोप के विनाशकारी प्रभाव से प्रेरित नहीं था, इसके पीछे और भी कई कारक थे।
खपत कम होने और कारोबारी गतिविधियां थमने से घरेलू अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी
कोरोना संकट के पहले से जारी आर्थिक दबाव से MSME की मुश्किलें और बढ़ीं
लॉकडाउन और सरकार के राहत कदमों से बिजली कंपनियों पर दबाव संभव
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