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सोने के आयात से जुड़ी योजना में भी घिरे पूर्व वित्‍त मंत्री पी चिदंबरम, पीएसी के समक्ष रखा जाएगा 80:20 स्वर्ण योजना का पूरा ब्योरा

वित्त मंत्रालय के अधिकारी दस दिन के भीतर संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष 80:20 स्वर्ण आयात योजना की सभी फाइलों और नोटिंग का ब्योरा रखेंगे। सूत्रों ने आज यह जानकारी दी।

Abhishek Shrivastava Edited by: Abhishek Shrivastava
Published on: March 05, 2018 19:12 IST
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नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय के अधिकारी दस दिन के भीतर संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष 80:20 स्वर्ण आयात योजना की सभी फाइलों और नोटिंग का ब्योरा रखेंगे। सूत्रों ने आज यह जानकारी दी। यह योजना पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थी। 

भाजपा सदस्यों का आरोप है कि यह योजना तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम के कार्यकाल में शुरू हुई थी और पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले के सूत्रधार नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे लोगों ने इस योजना का दुरुपयोग किया। अगस्त, 2013 में संप्रग सरकार ने 80:20 नियम लागू किया था। इस नियम के तहत व्यापारी उसी स्थिति में सोने का आयात कर सकते थे, जबकि उन्होंने अपने पिछले आयात का 20 प्रतिशत सोना निर्यात किया हो। 

यह नियम नवंबर, 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सत्ता में आने के बाद समाप्त कर दिया गया था। पिछले सप्ताह हुई समिति की बैठक में भाजपा सदस्यों ने इस योजना के क्रियान्वयन में चिदंबरम की भूमिका पर सवाल उठाया था। 

राजस्व सचिव और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के शीर्ष अधिकारी भाजपा सांसद निशिकान्त दुबे की अगुवाई वाली पीएसी की उप-समिति के समक्ष उपस्थित हुए थे। इस बैठक के दौरान सदस्यों ने अधिकारियों को इस योजना के संबंधित सभी नोटिंग्स समिति के समक्ष रखने का निर्देश दिया था। सूत्रों के अनुसार सभी पत्रावालियां और उन पर टिप्पणियां दस दिन के अंदर रखी जानी हैं। 

सदस्यों ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की भूमिका पर भी सवाल उठाया। उनका कहना था कि कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि आभूषण व्यवसायियों को एक डॉलर के लाभ की मदद के लिए इस योजना के तहत सरकार को शुल्क-त्याग के रूप में 221.75 रुपए की लागत उठानी पड़ी। दुबे ने बैठक में कहा कि कैग की रिपोर्ट में यह स्पष्ट संकेत है कि आभूषण कारोबारियों ने इस योजना का दुरुपयोग कर कालेधन की को अंदर-बाहर किया। इसमें चौकसी भी शामिल था। चौकसी का नाम पंजाब नेशलन बैंक ऋण घोटाले में शामिल है। बैठक में दुबे ने दावा कि संभवत: चिदंबर इस बात से वाकिफ थे। 

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