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कंपोजिशन योजना में GST रिटर्न से सरकार हैरान, पांच लाख कंपनियों का कारोबार पांच लाख रुपए से कम

कंपनियों द्वारा वस्‍तु एवं सेवा कर (GST) कंपोजिशन योजना के तहत दाखिल रिटर्न की संख्या से सरकार हैरान है। करीब पांच लाख कंपनियों ने रिटर्न में अपनी सालाना बिक्री को सिर्फ पांच लाख रुपए ही दिखाया है।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Published on: February 06, 2018 18:36 IST
Hasmukh Adhia- India TV Paisa
Finance Secretary Hasmukh Adhia

नई दिल्ली कंपनियों द्वारा वस्‍तु एवं सेवा कर (GST) कंपोजिशन योजना के तहत दाखिल रिटर्न की संख्या से सरकार हैरान है। करीब पांच लाख कंपनियों ने रिटर्न में अपनी सालाना बिक्री को सिर्फ पांच लाख रुपए ही दिखाया है। इस बीच, वित्‍त सचिव हसमुख अधिया ने मंगलवार को फिर दोहराया कि पिछले कुछ दिन के दौरान शेयर बाजारों में गिरावट की वजह वैश्विक स्तर पर बाजारों में गिरावट है। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि दीर्घावधि के पूंजीगत लाभ कर (LTCG) के प्रस्ताव की वजह से बाजार टूट रहा है।

GST के तहत 20 लाख रुपए तक कारोबार वाली कंपनियों को GST व्यवस्था से छूट है। GST पिछले साल एक जुलाई को लागू हुआ है। जुलाई-सितंबर की अवधि के दौरान कंपोजिशन योजना के विकल्प को चुनने वाली करीब दस लाख कंपनियों में से सात लाख ने तिमाही के लिए रिटर्न दाखिल किया है।

वित्त सचिव हसमुख अधिया ने मंगलवार को कहा कि हैरानी की बात है कि इन सात लाख कंपनियों में से पांच लाख ने अपना जो रिटर्न दाखिल किया है, उसके मुताबिक उनका वार्षिक कारोबार पांच लाख रुपए से कम बैठता है। अब हम सोच रहे हैं कि उनको पंजीकरण कराने की क्या जरूरत थी। GST में 20 लाख रुपए तक के सालाना कारोबार तक पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं है।

अधिया ने कहा कि,

हम इस गणित को नहीं समझ पाए, जबकि हमने कंपोजिशन योजना के लिए सीमा बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपए कर दी। ऐसा करने की जरूरत नहीं थी।

GST परिषद ने नवंबर 2017 में कंपोजिशन योजना की सीमा बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपए करने का फैसला किया था और साथ ही GST कानून को संशोधित कर सांविधिक सीमा को दो करोड़ रुपए करने का फैसला किया है। उससे पहले तक यह सीमा एक करोड़ रुपए थी। कंपोजिशन योजना के तहत कारोबारी और विनिर्माताओं को एक प्रतिशत कम दर पर कर का भुगतान करने की अनुमति होती है।

अधिया ने करीब 14 साल बाद LTCG टैक्‍स को फिर से लागू करने की वजह बताते हुए कहा कि सभी ऐसी संपत्तियां जिनमें दीर्घावधि का रिटर्न मिल रहा है, पर कर लगता है। लेकिन शेयरों के साथ ऐसा नहीं है। इसी अंतर को दूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

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