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पिछली सरकार से विरासत में मिले मामले सुलझाए, 25 प्रतिशत कॉर्पोरेट टैक्स की ओर अग्रसर: जेटली

अरुण जेटली ने कहा कि भारत सरकार ने पिछली सरकार से विरासत में मिले टैक्स से जुड़े कई मामले सुलझा लिए हैं और कॉर्पोरेट टैक्स 25% के ग्लोबल स्तर पर ला रही है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: March 29, 2016 12:36 IST
पिछली सरकार से विरासत में मिले कई मामले सुलझाए, 25 फीसदी पर लाएंगे कॉर्पोरेट टैक्स: जेटली- India TV Paisa
पिछली सरकार से विरासत में मिले कई मामले सुलझाए, 25 फीसदी पर लाएंगे कॉर्पोरेट टैक्स: जेटली

सिडनी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत सरकार ने पिछली सरकार से विरासत में मिले टैक्स से जुड़े कई मामले सुलझा लिए हैं। वहीं धीरे-धीरे कॉर्पोरेट टैक्स 25 फीसदी के ग्लोबल स्तर पर ला रही है जो फिलहाल 30 फीसदी है। एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल मैनेजमेंट में आयोजित एक व्याख्यान में जेटली ने भरोसा जताया कि लंबे समय से अटके वस्तु एवं सेवा कर विधेयक को संसद में जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी।

मंत्री ने कहा कि भारत ने ग्लोबल स्तर पर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद 7.5 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की और सरकार की कोशिश होगी कि कारोबार सुगमता और बढ़ाए, और अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करे और घरेलू निवेशकों को विदेश जाने से रोके। उन्होंने कहा, एक और महत्वपूर्ण क्षेत्र है भारत की कराधान प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना। इसलिए हम अब डायरेक्ट टैक्स सिस्टम पर काम कर रहे हैं जिसके तहत हम विवाद खत्म करना चाहते हैं। जेटली ने कहा, हम चाहते हैं कि लोग अपने कर विवाद निपटाएं। इसलिए इस बजट में मैंने लंबित मामलों को निपटाने के लिए विभिन्न किस्म की व्यवस्थाओं का भी प्रस्ताव किया है।

जेटली ने कहा कि सरकार भारत में कॉर्पोरेट टैक्स की दर धीरे-धीरे उचित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाने की दिशा में काम कर रही है। इसके तहत कोई विशेषाधिकार नहीं होगा और न किसी तरह की अतिरिक्त छूट। धीरे-धीरे इन सबको खत्म कर 25 प्रतिशत के कार्पोरेट कर के स्तर पर लाना है। बजट 2016-17 ने विवाद निपटान व्यवस्था प्रदान की है जिसके तहत कर मांग का सामना कर रही कंपनियां जो विभिन्न चरणों में अटकी हुई हैं, वे मूल तथा ब्याज या जुर्माना अदा कर इन्हें विराम दे सकती हैं। जहां तक पिछली तारीख से संशोधन के आधार पर कर मांग का सामना कर रही कंपनियों का सवाल है तो बजट में एक योजना का प्रावधान किया गया है जिसके तहत ब्याज और जुर्माने को माफ किया जा सकता है और कंपनियां सिर्फ मूल कर मांग अदा कर विवाद निपटा सकती हैं।

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