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नीतिगत दर में कटौती को लेकर RBI पर दबाव, ब्‍याज दरों में कटौती की बढ़ी आस

महंगाई दर के न्यूनतम स्तर पर आने तथा औद्योगिक वृद्धि के 2% से नीचे जाने के कारण RBI पर मौद्रिक नीति में बदलाव लाने और नीतिगत दर में कटौती का दबाव बढ़ा है।

Manish Mishra Manish Mishra
Published on: July 16, 2017 15:39 IST
नीतिगत दर में कटौती को लेकर RBI पर दबाव, ब्‍याज दरों में कटौती की बढ़ी आस- India TV Paisa
नीतिगत दर में कटौती को लेकर RBI पर दबाव, ब्‍याज दरों में कटौती की बढ़ी आस

नई दिल्ली महंगाई दर के ऐतिहासिक रूप से न्यूनतम स्तर पर आने तथा औद्योगिक वृद्धि के दो प्रतिशत से नीचे जाने के कारण RBI पर मौद्रिक नीति रुख में बदलाव लाने और नीतिगत दर में कटौती का दबाव बढ़ा है। RBI के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति की 1-2 अगस्त को बैठक होगी जिसमें 2017-18 की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति के बारे में निर्णय किया जाएगा। अगली मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले महंगाई दर का आंकड़ा आ चुका है और इसने केंद्रीय बैंक की जून में पेश मौद्रिक नीति समीक्षा में कीमत मोर्चे पर जतायी गयी चिंता को निर्मूल साबित किया है।

मौद्रिक नीति कमेटी (MPC) ने मुद्रास्फीति के बढ़ने का जोखिम का हवाला देते हुए लगातार चौथी बार रेपो रेट 6.25 प्रतिशत पर बरकरार रखा। मौद्रिक नीति समिति की बैठक में पटेल ने समय से पहले नीतिगत कार्रवाई से बचने की दलील देते हुए मुद्रास्फीति के और आंकड़ों का इंतजार करने को कहा था। उन्होंने कहा था, हाल में खाद्य एवं गैर-खाद्य वस्तुओं की महंगाई में जो कमी आई है, वह कितनी टिकाऊ है, आगामी आंकड़ों से साफ होगा।

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RBI का मुख्य जोर खुदरा मुद्रास्फीति पर है और यह जून में ऐतिहासिक रूप से 1.4 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर पर आ गई। थोक महंगाई दर भी आठ महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गयी। इसी प्रकार, मई में औद्योगिक वृद्धि 1.7 प्रतिशत रही। उद्योग मंडल CII का विचार है कि मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के लक्ष्य से काफी नीचे आ गई है, ऐसे में RBI को नीतिगत दर में कमी लाने के लिये प्रेरित होना चाहिए।

CII के अनुसार,

मांग को गति देने के लिये आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में 0.50 प्रतिशत की कमी आनी चाहिए।

MPC के एक सदस्य रवीन्द्र ढोलकिया ने भी रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती की वकालत की है। उनका कहना है कि कीमत और उत्पादन के मोर्चे पर हाल में कई उल्लेखनीय गतिविधियां हुई हैं, इसको देखते हुए निर्णायक नीतिगत कदम वांछनीय है।

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निजी क्षेत्र के बैंक कोटक बैंक की राय है कि चूंकि RBI ने जून में मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति वृद्धि को लेकर अपना अनुमान कम किया है, ऐसे में महंगाई के आंकड़े के इस स्तर को देखते हुए केंद्रीय बैंक के पास कटौती की गुंजाइश है। बैंक ने रिपोर्ट में कहा, हम उम्मीद करते हैं कि एमपीसी अगस्त महीने की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगी। BoFA मेरिल लिंच ग्लोबल रिसर्च ने भी उम्मीद जताbZ है कि MPC रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगी।

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