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आईआईटी की स्‍टडी में हुआ खुलासा, मिनिमम बैलेंस पर बैंक ग्राहकों से ठग रहे हैं पैसे

सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा ग्राहकों के अपने बचत खातों में न्यूनतम शेष (बैलेंस) नहीं रखने पर अनुचित शुल्क वसूला जा रहा है।

India TV Paisa Desk Written by: India TV Paisa Desk
Published on: December 28, 2017 21:10 IST
Banks
- India TV Paisa
Photo:PTI Banks

नई दिल्‍ली। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा ग्राहकों के अपने बचत खातों में न्यूनतम शेष (बैलेंस) नहीं रखने पर अनुचित शुल्क वसूला जा रहा है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आईआईटी-मुंबई) के प्रोफेसर ने एक अध्ययन के जरिये यह दावा किया है। प्रोफेसर आशीष दास द्वारा किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि यस बैंक और इंडियन ओवरसीज जैसे कई बैंक ग्राहकों द्वारा अपने खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर 100 प्रतिशत से अधिक का सालाना जुर्माना लगा रहे हैं।

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इस बारे में रिजर्व बैंक के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि न्यूनतम शेष नहीं रखने पर ग्राहकों पर उचित जुर्माना ही लगाया जाना चाहिए। अध्ययन में कहा गया है कि कई बैंक औसतन 78 प्रतिशत का वार्षिक जुर्माना लगा रहे हैं। इससे उचित जुर्माने के सभी नियमन खोखले साबित हो रहे हैं। दास द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर इंडियन ओवरसीज बैंक 159. 48 प्रतिशत का जुर्माना लगा रहा है। वहीं यस बैंक औसतन 112. 8 प्रतिशत, एचडीएफसी बैंक 83. 76 प्रतिशत तथा एक्सिस बैंक 82. 2 प्रतिशत जुर्माना वसूल रहा है।

अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय स्टेट बैंक 24. 96 प्रतिशत का जुर्माना लगा रहा है। विभिन्न बैंकों में न्यूनतम शेष राशि रखने की सीमा 2,500 रुपये से एक लाख रुपये तक है। अध्ययन में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने जुर्माना शुल्क ग्राहकों की दृष्टि से उचित तरीके से लगाने के नियमन बनाए हैं। दास आईआईटी मुंबई के सांख्यिकी के प्रोफेसर हैं।

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