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चीनी उद्योग को मोदी सरकार ने दी बड़ी राहत, एक्‍सपोर्ट बढ़ाने के लिए निर्यात शुल्क किया समाप्त

सरकार ने चीनी के निर्यात पर लगने वाले 20 प्रतिशत निर्यात शुल्‍क को समाप्‍त कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि चीनी के निर्यात को बढ़ावा देने और जमा स्‍टॉक को कम करने के मकसद से सरकार ने यह कदम उठाया है।

Abhishek Shrivastava Edited by: Abhishek Shrivastava
Published on: March 20, 2018 18:18 IST
sugar - India TV Paisa
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नई दिल्‍ली। सरकार ने चीनी के निर्यात पर लगने वाले 20 प्रतिशत निर्यात शुल्‍क को समाप्‍त कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि चीनी के निर्यात को बढ़ावा देने और जमा स्‍टॉक को कम करने के मकसद से सरकार ने यह कदम उठाया है। इस साल देश में चीनी का अत्‍यधिक उत्‍पादन होने की उम्‍मीद है।

चीनी वर्ष 2017-18 में देश के भीतर रिकॉर्ड 2.95 करोड़ टन चीनी उत्‍पादन होने का अनुमान है। चालू चीनी वर्ष 30 सितंबर को समाप्‍त होगा। इस साल चीनी का उत्‍पादन पिछले साल से 45 प्रतिशत अधिक होने की उम्‍मीद है। अत्‍यधिक उत्‍पादन की वजह से घरेलू बाजारों में चीनी की कीमतें 15 प्रतिशत तक लुढ़क गई हैं।

ऐसे में चीनी मिलों को राहत देने के लिए सरकार ने निर्यात पर लगने वाले 20 प्रतिशत निर्यात शुल्‍क को समाप्‍त करने की अधिसूचना जारी की है। इस खबर के बाद चीनी मिलों के शेयरों में तेजी देखी गई। बलरामपुर चीनी मिल्‍स लिमिटेड, डालमिया भारत सुगर एंड इंडस्‍ट्रीज और श्री रेणुका सुगर्स लिमिटेड के शेयर 5 प्रतिशत तक उछल गए। मुंबई के डीलर ने कहा कि निर्यात शुल्‍क समाप्‍त करने से स्‍थानीय बाजार में कीमतों में सुधार आएगा लेकिन अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में कीमतों के कम होने से भारत के लिए निर्यात करना मुश्किल होगा।

पाकिस्‍तान, जिसने चीनी निर्यात पर सब्सिडी देने का फैसला किया है, 340 डॉलर प्रति टन के हिसाब से चीनी बेच रहा है, इस कीमत पर भारत को चीनी बेचने में मुश्किल होगी। भारत का मौजूदा घरेलू दाम 460 डॉलर प्रति टन है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि यदि वैश्विक बाजार लगातार भारतीय निर्यातकों के लिए अनाकर्षक बने रहते हैं तो केंद्र सरकार चीनी मिलों को निर्यात के लिए प्रोत्‍साहन देने पर विचार कर सकती है। अधिकारी ने कहा कि सरकार चीनी की स्‍थानीय बिक्री पर टैक्‍स लगा सकती है और इससे मिलने वाली राशि का इस्‍तेमाल निर्यात प्रोत्‍साहन में किया जाएगा।  भारत का चीनी वर्ष अक्‍टूबर से सितंबर तक चलता है, लेकिन गन्‍ने की पिराई दिसंबर के आसपास शुरू होती है और यह मार्च एवं अप्रैल तक समाप्‍त हो जाती है।     

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