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मोदी सरकार बदलने जा रही है अर्थव्‍यवस्‍था की तस्‍वीर, GDP व रिटेल महंगाई की गणना के लिए करेगी आधार वर्ष में बदलाव

सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रिटेल मुद्रास्फीति की गणना के लिए आधार वर्ष को बदलकर क्रमश: 2017-18 और 2018 करेगी। यह व्यवस्था 2019-20 से प्रभाव में आएगी।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: July 04, 2018 10:14 IST
modi government- India TV Paisa
Photo:MODI GOVERNMENT

modi government

नई दिल्ली। सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रिटेल मुद्रास्फीति की गणना के लिए आधार वर्ष को बदलकर क्रमश: 2017-18 और 2018 करेगी। यह व्यवस्था 2019-20 से प्रभाव में आएगी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री सदानंद गौड़ा ने आज यह जानकारी दी। 

आखिरी बार जीडीपी, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के लिए आधार वर्ष को संशोधित कर 2011-12 और मुद्रास्फीति के लिए 2012 किया गया था। 

गौड़ा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि इस संशोधन से अर्थव्यवस्था और समाज की प्रगति का अधिक सही आकलन किया जा सकेगा। अगले दौर के संशोधन के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। जीडीपी के लिए आधार वर्ष को बदलकर 2017-18 किया जाएगा, जबकि उपभोक्ता रिटेल मुद्रास्फीति के लिए इसे 2018 किया जाएगा।  

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की पिछले चार साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए गौड़ा ने कहा कि आधिकारिक आंकड़ों की गणना के लिए 2016 में संयुक्त राष्ट्र के आधारभूत सिद्धांतों को अपनाया गया। मंत्री ने हालांकि इस बहस को खारिज किया कि सरकार ने जीडीपी और सीपीआई की गणना का तरीका इसलिए बदला है ताकि यह उसकी जरूरत के अनुरूप हो सके। उन्होंने कहा कि इन सिद्धांतों का मकसद आधिकारिक आंकड़ों के लिए अच्छे व्यवहार और पेशेवर नैतिकता को प्रोत्साहन देना है। 

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