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महंगा होने पर भी कम नहीं हो रहा है पेट्रोल-डीजल का उपभोग, इसलिए सरकार नहीं उठा रही है कदम

पेट्रोल-डीजल की कीमतों के सर्वकालिक उच्‍च स्‍तर पर पहुंच जाने के बीच हिंदुस्‍तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश कुमार सुराना ने कहा कि ग्राहकों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार को पेट्रोलियम उत्‍पादों पर लागू करों की समीक्षा करनी चाहिए।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: May 23, 2018 16:31 IST
petrol- India TV Paisa
Photo:PETROL

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नई दिल्‍ली। पेट्रोल-डीजल की कीमतों के सर्वकालिक उच्‍च स्‍तर पर पहुंच जाने के बीच हिंदुस्‍तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश कुमार सुराना ने कहा कि ग्राहकों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार को पेट्रोलियम उत्‍पादों पर लागू करों की समीक्षा करनी चाहिए।

उन्‍होंने कहा कि गौरतलब है कि जहां एक तरफ ग्राहक तेल कीमतों के प्रति बहुत संवेदनशील है वहीं सरकार अपने व्यय को पूरा करने के लिए इससे प्राप्त होने वाले राजस्व पर काफी कुछ निर्भर करती है। हालांकि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बावजूद इसके उपभोग में कमी का रुझान अभी तक नहीं दिखाई पड़ा है।

सुराना ने बताया कि दाम बढ़ने के बावजूद लोग इसका इस्‍तेमाल कर रहे हैं इसलिए सरकार भी कोई कदम उठाने की जल्‍दबाजी में नहीं है। सुराना ने कहा कि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान या सरकार की ओर से किसी ने भी पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर विचार-विमर्श के लिए कोई भी बैठक अभी तक नहीं बुलाई है।  

सुराना ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में लगातार 10वें दिन बढ़ोतरी हुई है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी बनी हुई है और इनके घरेलू दर निर्धारण के तरीकों को देखते हुए इन्हें कम करने का कोई तरीका नहीं दिखता। कर्नाटक चुनाव के दौरान पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रखने के बाद अब पिछले नौ दिन में इनकी कीमत रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है। दिल्ली में पेट्रोल 76.17 रुपए प्रति लीटर और डीजल 68.34 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है। पिछले नौ दिन में पेट्रोल के दाम 2.54 रुपए और डीजल के 2.41 रुपए लीटर बढ़ चुके हैं। 

सुराना ने कहा कि हमें समय-समय पर ऐसी स्थितियों का सामना करने के तरीकों पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तेल विपणन कंपनियां उत्पादों की बिक्री मात्रा के आधार पर चलती हैं जिससे उनका मार्जिन बहुत कम होता है। ऐसे में यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो हम चाहकर भी बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। सुराना ने कहा कि हमें अपनी पूंजीगत व्यय और वृद्धि योजनाओं को भी बनाए रखने पर ध्यान देना है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा समाधान खोजना पड़ेगा जो तेल कंपनियों, ग्राहकों और सरकार के बजट को संतुलित करने वाला हो। 

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