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FPI ने अप्रैल में भारतीय बाजार से की 16 महीने की सबसे बड़ी निकासी, ले गए 15500 करोड़ रुपए

सरकारी बांड से कमाई बढ़ने और कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी आने से विदेशी निवेशकों ने घरेलू पूंजी बाजार से अप्रैल महीने के दौरान 15,500 करोड़ रुपए की निकासी की। यह पिछले 165 महीनों की सर्वाधिक निकासी है।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Published on: May 06, 2018 16:19 IST
FPI outflow hits 16 month high at Rs15500 crore in April- India TV Paisa

FPI outflow hits 16 month high at Rs15500 crore in April

नई दिल्ली। सरकारी बांड से कमाई बढ़ने और कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी आने से विदेशी निवेशकों ने घरेलू पूंजी बाजार से अप्रैल महीने के दौरान 15,500 करोड़ रुपए की निकासी की। यह पिछले 165 महीनों की सर्वाधिक निकासी है। इससे पहले मार्च में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने घरेलू शेयर बाजारों से 11,654 करोड़ रुपए लगाये थे और ऋणपत्र बाजार से नौ हजार करोड़ रुपए की निकासी की थी। एफपीआई ने फरवरी में भी पूंजी बाजार से 11,674 करोड़ रुपए निकाले थे।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, बीते माह एफपीआई ने शेयर बाजारों से 5,552 करोड़ रुपए और ऋणपत्र बाजार से 10,036 करोड़ रुपए निकाले। यह दिसंबर 2016 के बाद किसी भी महीने की गयी सर्वाधिक निकासी है। तब एफपीआई ने घरेलू पूंजी बाजार से 27 हजार करोड़ रुपए निकाले थे। इस साल एफपीआई अब तक शेयर बाजारों में 7,100 करोड़ रुपए के शुद्ध लिवाल और ऋणपत्र बाजार में 14 हजार करोड़ रुपए के शुद्ध बिकवाल रहे हैं।

रिलायंस सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख राकेश तारवे ने कहा कि घरेलू स्तर पर सरकारी बांड से कमाई बढ़ने के कारण ऋणपत्र बाजार में बिकवाली रही जबकि शेयर बाजारों से निकासी का कारण वैश्विक बाजारों में कमाई बढ़ना और कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था के वृहद आर्थिक परिस्थितियों का बिगड़ना है। इसके अलावा आसन्न विधानसभा चुनावों से पहले एफपीआई द्वारा की गयी मुनाफावसूली भी वजह है।

प्रभुदास लीलाधर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय बोदके के अनुसार बाजार की निगाहें कर्नाटक चुनाव के परिणाम और अमेरिका-ईरान संबंधों की प्रगति पर टिकी हुई हैं जिसके कारण जोखिम के प्रति सतर्कता बढ़ी है।

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