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ट्रेड वार के बीच चीन ने भारत को दिया आश्‍वासन, व्यापार घाटे को पाटने के लिए उठाएंगे ठोस कदम

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को कहा कि इसके लिए चीन भारतीय उत्पादों और सेवाओं को अधिक बाजार पहुंच उपलब्ध कराने तथा यहां औद्योगिक पार्क लगाने पर सहमत हुआ है।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Updated on: March 28, 2018 16:44 IST
India China- India TV Paisa

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नई दिल्ली। चीन ने भारत के बढ़ते व्यापार घाटे को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को कहा कि इसके लिए चीन भारतीय उत्पादों और सेवाओं को अधिक बाजार पहुंच उपलब्ध कराने तथा यहां औद्योगिक पार्क लगाने पर सहमत हुआ है। चीन के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री जांग शन के साथ बैठक में प्रभु ने बढ़ते व्यापार घाटे का मुद्दा उठाया। साथ ही बैठक में आयात और निर्यात के बढ़ते अंतर पर भी चर्चा हुई।

सुरेश प्रभु ने कहा कि चीन के मंत्री समय के साथ तीन-चार चीजों के जरिए भारत के साथ व्यापार संतुलन बेहतर बनाने पर सहमत हुए हैं। वह व्यक्तिगत रूप से भारत से अधिक आयात कर व्यापार घाटे के मुद्दे को हल करने के इच्छुक हैं।

उन्होंने बताया कि चीन ने भारत के कृषि, फार्मा तथा अन्य विनिर्मित उत्पादों को अधिक बाजार पहुंच उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की बात कही है।

वस्तुओं की आवाजाही के लिए पड़ोसी देश सरकार से सरकारके स्तर पर बैठकों के आयोजन पर सहमत हुआ है जिससे फार्मा जैसे क्षेत्रों के नियामकीय मुद्दों को हल किया जा सके। इसके अलावा उद्यमियों एवं व्यवसायियों के स्तर पर भी बैठकें की जाएंगी।

प्रभु ने कहा कि चीन को सेवाओं के अधिक निर्यात से व्यापार घाटे के मुद्दे को हल करने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि अगले कुछ सप्ताह में मंत्रालय चीन के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजेगा। उन्होंने बताया कि चीन ने भारत में औद्योगिक पार्क स्थापित करने के लिए पुख्ता योजना बनाई है, जिससे निवेश को प्रोत्साहन मिल सकेगा।

चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्‍टूबर अवधि में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 36.73 अरब डॉलर था। वित्त वर्ष 2016-17 में व्यापार घाटा मामूली घटकर 51 अरब डॉलर रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 52.69 अरब डॉलर था। वित्त वर्ष 2016-17 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 71.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 70.71 अरब डॉलर था।

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