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सरकार ने दी जैव र्इंधन की राष्‍ट्रीय नीति-2018 को मंजूरी, पेट्रोल को सस्‍ता करने की है तैयारी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव ईंधन पर राष्‍ट्रीय नीति-2018 को मंजूरी दे दी है, जिसमें पेट्रोल के साथ मिलाए जाने वाले एथेनॉल के उत्‍पादन के लिए कच्चे माल का दायरा बढ़ाते हुए अनुपयुक्त अनाज, सड़े आलू और चुकंदर आदि के इस्‍तेमाल की अनुमति दी गई है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: May 17, 2018 13:09 IST
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नई दिल्‍ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव ईंधन पर राष्‍ट्रीय नीति-2018 को मंजूरी दे दी है, जिसमें पेट्रोल के साथ मिलाए जाने वाले एथेनॉल के उत्‍पादन के लिए कच्चे माल का दायरा बढ़ाते हुए अनुपयुक्त अनाज, सड़े आलू और चुकंदर आदि के इस्‍तेमाल की अनुमति दी गई है। इससे तेल आयात के मद में इस वर्ष ही 4,000 करोड़ रुपए की बचत का अनुमान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।  

इस नीति में गन्‍ने का रस, चीनी वाली वस्‍तुओं जैसे चुकंदर, स्‍वीट सौरगम, भुट्टा, कसावा, मनुष्‍य के उपभोग के लिए अनुपयुक्‍त बेकार अनाज जैसे गेहूं, टूटा चावल, सड़े हुए आलू के इस्‍तेमाल की अनुमति देकर एथेनॉल उत्‍पादन के लिए कच्‍चे माल का दायरा बढ़ाया गया है। 

इस नीति में जैव ईंधनों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। इसके तहत प्रथम पीढ़ी के जैव ईंधन में शीरे से बनाए गए एथेनॉल और कुछ गैर खाद्य तिलहनों से तैयार जैव डीजल, दूसरी श्रेणी यानी विकसित जैव ईंधनों में शहरी ठोस कचरे (एमएसडब्‍ल्‍यू) से तैयार एथेनॉल तथा तीसरी श्रेणी के जैव ईंधन में जैव सीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है ताकि प्रत्‍येक श्रेणी में उचित वित्‍तीय और आर्थिक प्रोत्‍साहन बढ़ाया जा सके। 

अतिरिक्‍त उत्‍पादन के चरण में किसानों को उनके उत्‍पाद का उचित मूल्‍य नहीं मिलने के खतरे को ध्यान में रखते हुए इस नीति में राष्‍ट्रीय जैव ईंधन समन्‍वय समिति की मंजूरी से एथेनॉल उत्‍पादन के लिए पेट्रोल के साथ उसे मिलाने के लिए अतिरिक्‍त अनाजों के इस्‍तेमाल की अनुमति दी गई है। जैव ईंधनों के लिए इस नीति में 2जी एथेनॉल जैव रिफाइनरी के लिए 1जी जैव ईधनों की तुलना में अतिरिक्‍त कर प्रोत्‍साहनों, उच्‍च खरीद मूल्‍य के अलावा 6 वर्षों में 5,000 करोड़ रुपए की निधियन योजना के लिए व्‍यावहारिकता अन्‍तर का संकेत दिया गया है। 

नीति में गैर-खाद्य तिलहनों, इस्‍तेमाल किए जा चुके खाना पकाने के तेल, लघु लाभ फसलों से जैव डीजल उत्‍पादन के लिए आपूर्ति श्रृंखला तंत्र स्‍थापित करने को प्रोत्‍साहन दिया गया है। इन प्रयासों के लिए नीति दस्‍तावेज़ में जैव ईंधनों के बारे में सभी मंत्रालयों या विभागों की भूमिकाओं और जिम्‍मेदारियों का अधिग्रहण किया गया है। सूत्रों ने बताया कि इससे आयात निर्भरता कम होगी। एक करोड़ लीटर ई-10 वर्तमान दरों पर 28 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत करेगा। एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2017-18 में करीब 150 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की उम्‍मीद है, जिससे 4,000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत होगी। 

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