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खत्‍म हो चुका है बैंकों के संकट का दौर, इस साल स्थिति में होगा सुधार : वित्तीय सेवा सचिव

वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने गुरुवार कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बुरा समय निकल चुका है और चालू वित्त वर्ष में ही यह बैंक त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) नियमों के दायरे से बाहर निकल आएंगे।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: August 16, 2018 19:42 IST
Banks- India TV Paisa

Banks

नई दिल्ली वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने गुरुवार कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का बुरा समय निकल चुका है और चालू वित्त वर्ष में ही यह बैंक त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) नियमों के दायरे से बाहर निकल आएंगे। सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों में 11 आरबीआई की निगरानी सूची में हैं। इनमें से दो बैंक देना बैंक तथा इलाहबाद बैंक व्यापार के विस्तार को लेकर बाधाओं को सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऋण शोधन एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के क्रियान्वयन समेत कई कदम उठाये हैं। इसका फंसे कर्ज तथा उसकी वसूली के संदर्भ में अच्छे नतीजे आये हैं।

कुमार ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ग्रोथ इंजन है। उन्होंने कहा कि बही-खातों को साफ-सुथरा करने से बैंकों का बुरा दौर पीछे छूट गया है। बैंकों ने पहली तिमाही में 36,551 करोड़ रुपये के पुराने कर्ज की वसूली की है। यह पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही के मुकाबले 49 प्रतिशत वृद्धि को बताता है।’’

साथ ही बैंकों का परिचालन लाभ तिमाही आधार पर 11.5 प्रतिशत बढ़ा जबकि नुकसान 73.5 प्रतिशत कम हुआ है। साथ ही फंसे कर्ज में कमी से संपत्ति गुणवत्ता सुधरी है। उन्होंने कहा कि बैंकों का फंसे कर्ज के समक्ष ‘प्रोविजन कवरेज रेशियो’ 63.8 प्रतिशत के बेहतर स्तर पर पहुंच गया है।

कुमार ने कहा कि इन सभी प्रयासों से मुझे भरोसा है कि बैंक चालू वित्त वर्ष में कड़ी कारवाई के दायरे से बाहर निकल आयेंगे। वित्तीय सेवा सचिव ने कहा कि सरकार का संकल्प एकदम साफ है कि प्रत्येक संबंधित पक्ष जवाबदेह है।

उन्होंने कहा कि जो सही तरीके से काम नहीं करेंगे, उन्हें परिणाम भुगतने पड़ेंगे। एनपीए घट रहा है। कर्ज मांग में वृद्धि हो रही है।

पूंजी को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में कुमार ने कहा कि जब भी बैंकों को जरूरत होती है, उन्हें उपलब्ध करायी गयी है। इनमें से कुछ को पूंजी दी गयी है। कर्ज वसूली होने के साथ कुछ बैंकों को इसकी जरूरत नहीं होगी। फिलहाल कोई भी नियामकीय नियमों का उल्लंघन नहीं कर रहा। हम नियामकीय पूंजी बनाये रखने को प्रतिबद्ध हैं।

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