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28 बड़े NPA खातों में से 24 को NCLT के पास भेजने की तैयारी में बैंक, 12 डिफॉल्टर्स हैं SBI के ग्राहक

28 बड़े एनपीए खातों की दूसरी लिस्‍ट में शामिल कंपनियों की निपटान समयसीमा समाप्‍त होने के बाद अब बैंक इनमें से 24 खातों को दिवाला प्रक्रिया के तहत एनसीएलटी के पास भेजने की तैयारी में हैं।

Abhishek Shrivastava Edited by: Abhishek Shrivastava
Published on: January 02, 2018 9:11 IST
NCLT- India TV Paisa
NCLT

नई दिल्‍ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी 28 बड़े एनपीए खातों की दूसरी लिस्‍ट में शामिल कंपनियों की निपटान समयसीमा समाप्‍त होने के बाद अब बैंक इनमें से 24 खातों को दिवाला प्रक्रिया के तहत एनसीएलटी के पास भेजने की तैयारी में हैं।

आरबीआई ने अगस्त में बैंकों को निर्देश दिया था कि वे इन 28 बड़े गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) वाले खातों का निपटान करें या 31 दिसंबर तक राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास भेजें। कुल चार लाख करोड़ रुपए के डूबे कर्ज में से 40 प्रतिशत इन खातों पर बकाया है। 

एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा कि एनरक एल्यूमीनियम, जयसवाल नीको इंडस्ट्रीज, सोमा एंटरप्राइजेज और जयप्रकाश एसोसिएट्स को छोड़कर अन्य सभी खातों को निपटान के लिए एनसीएलटी के पास भेजा जाएगा। एनसीएलटी के पास जो बड़े खाते भेजे जाने हैं उनमें एशियन कलर कोटेड इस्पात, कॉस्टेक्स टेक्नोलॉजीज, कोस्टल प्रोजेक्ट्स, ईस्ट कोस्ट एनर्जी, आईवीआरसीएल, आर्किड फार्मा, एसईएल मैन्यूफैक्चरिंग, उत्तम गाल्वा मेटेलिक, उत्तम गाल्वा स्टील, वीजा स्टील, एस्सार प्रोजेक्ट्स, जय बालाजी इंडस्ट्रीज, मोनेट पावर, नागार्जुन ऑयल रिफाइनरी, रुचि सोया इंडस्ट्रीज और विंड वर्ल्ड इंडिया शामिल हैं। 

28 में से 12 डिफॉल्टर्स हैं SBI के ग्राहक

दूसरी लिस्‍ट में शामिल 28 डिफॉल्‍टर्स में से 12 भारतीय स्‍टेट बैंक के ग्राहक हैं। इनमें वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज सहित करीब दर्जन भर डिफॉल्टर कंपनियों पर एसबीआई दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही करने जा रहा है। एसबीआई वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज, वीजा स्टील, मोनेट पावर, उत्तम स्टील, एस्सार प्रोजेक्ट्स, वीडियोकॉन टेलीकॉम, जायसवाल नेको और जय बालाजी को मंगलवार से एनसीएसटी को रेफर करने की शुरुआत करेगा। क्रिसमस और न्यू ईयर की छुट्टियों के बाद ट्रिब्‍यूनल मंगलवार से खुलेगा।

आरबीआई की दूसरी लिस्ट में जिन कंपनियों के नाम हैं, उनसे बैंकों को 2 लाख करोड़ रुपए वसूलने हैं। कंपनियों को एनसीएलटी में रेफर करने का मतलब है कि इनके लिए बैंकों को प्रोविजनिंग बढ़ानी पड़ेगी, जिसका उनके मुनाफे पर बुरा असर पड़ेगा। आरबीआई ने एनसीएलटी में भेजे जाने वाले मामलों के लिए बैंकों को 50 प्रतिशत प्रोविजनिंग करने का निर्देश दिया है।

वहीं, अगर इन कंपनियों का लिक्विडेशन होता है तो उसके लिए बैंकों को 100 प्रतिशत प्रोविजनिंग करनी पड़ेगी। आरबीआई ने बैंकों को प्रोविजनिंग के लिए मार्च 2018 तक का समय दिया है। इनमें सबसे अधिक लोन वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज पर है। वह 47,000 करोड़ रुपये के लोन पर डिफॉल्ट कर चुकी है।

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