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7वां वेतन आयोग: मांग मजबूत होगी, मुद्रास्फीति जोखिम हल्का

सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर बढ़ोतरी लागू करने का घरेल अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर होगा।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: June 29, 2016 18:10 IST
7वां वेतन आयोग: बाजार में होगी मांग मजबूत, मुद्रास्फीति का जोखिम रहेगा हल्का- India TV Paisa
7वां वेतन आयोग: बाजार में होगी मांग मजबूत, मुद्रास्फीति का जोखिम रहेगा हल्का

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के एक करोड़ रुपए से अधिक कर्मचारियों व पेंशनधारकों वेतन-भत्तों व पेंशन में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर बढ़ोतरी लागू करने का घरेलू अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर होगा क्योंकि इससे उपभोग मांग बढ़ेगी। इससे मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने की आशंका है पर इसका जोखिम सीमित ही रहने की संभावना है।

विशेषज्ञों का कहना है कि वेतन भत्ते बढ़ाने से उपभोक्ता मांग विशेष तौर पर टिकाऊ उपभोक्ता एवं सेवा क्षेत्र में मांग बढ़ेगी। इससे चालू वित्त वर्ष में 7.9 फीसदी की आर्थिक वृद्धि हासिल करने में मदद मिलेगी। 2015-16 में वृद्धि 7.6 फीसदी थी। इकरा की वरिष्ठ अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, वेतन आयेाग की सिफारिश को लागू करने का उपभोक्ता वस्तुओं एवं सेवाओं की मांग पर अच्छा असर होगा। कुल मिलाकर आर्थिक वृद्धि के लिए यह अच्छा रहेगा और इससे मुद्रास्फीति का हल्का जोखिम भी होगा।

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल ऐसे समय में हो रहा है, जबकि वैश्विक स्तर पर हम ब्रेक्जिट के कारण नरमी के जोखिम का सामना कर रहे हैं। घरेलू मांग और अच्छे मानसून से वृद्धि तेज होगी। हमारा अनुमान है कि 2016-17 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.9 फीसदी रहेगी। इसके अलावा वेतन के बकाए के भुगतान से भी उपभोक्ता मांग को थोड़ी मदद मिलेगी। मुद्रास्फीति के असर के बारे में नायर ने कहा कि सेवा मुद्रास्फीति में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है पर अभी स्थापित विनिर्माण क्षमताओं का उपयोग पूरा नहीं हो रहा है इस लिए मांग बढ़ने के बावजूद मुद्रास्फीति का ज्यादा खतरा नहीं लगता।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री डा देवेंद्र पंत ने कहा कि इस निर्णय से घरेलू अर्थव्यवस्था में उपभोग 451.1 अरब रुपए यानी सकल घरेलू उत्पाद के 0.30 फीसदी तथा बचत 307.1 अरब रुपए यानी जीडीपी के 20 फीसदी के बराबर बढ़ेगी। इंडिया रेटिंग का मानना है कि इस निर्णय के लागू होने से केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा लगाने के बाद चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार के शुद्ध कर राजस्व में 0.09 फीसदी यानी 141 अरब रुपए का वृद्धि होगी।

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