Thursday, April 18, 2024
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Nirjala ekadashi 2018: निर्जला एकादशी में बहुत ही शुभ संयोग, इस शुभ मुहूर्त में से पूजा कर सुनें कथा

इस एकादशी के दिन व्रत करके बाकी एकादशियों का लाभ भी उठा सकता है। इसके साथ ही स्वाती नक्षत्र और शिव योग है। जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा के बारें में।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: June 22, 2018 14:18 IST
Nirjala ekadashi- India TV Hindi
Nirjala ekadashi

धर्म डेस्क: आज ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक महीने में दो एकादशियां होती हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में आती है। प्रत्येक एकादशी में भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने और उनकी पूजा करने का विधान है। सभी एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की इस निर्जला एकादशी का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है।

निर्जला एकादशी में निर्जल, यानी बिना पानी पिए व्रत करने का विधान है। इस एकादशी का पुण्य फल प्राप्त होता है। कहते हैं जो व्यक्ति साल की सभी एकादशियों पर व्रत नहीं कर सकता, वो इस एकादशी के दिन व्रत करके बाकी एकादशियों का लाभ भी उठा सकता है। इसके साथ ही स्वाती नक्षत्र और शिव योग है। जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा के बारें में।

शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि आरंभ: 23 जून 2018 को 03:19 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 24 जून 2018 को 03:52 बजे
व्रत खोलने का शुभ मुहूर्त: 24 जून 2018 को दोपहर 1:59 से शाम 04:30 के बीच

Nirjala ekadashi

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निर्जला एकादशी पूजा विधि
विष्णु पुराण के अनुसार जो लोग सालभर एकादशी का उपवास नहीं कर पाते हैं वें लोग केवल इस एक दिन निर्जला एकादशी का उपवास करें, क्योंकि इस एक दिन का उपवास करने से उनको दूसरी सभी एकादशियों का लाभ भी प्राप्त होता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में जगकर सभी कामों से निवृत्त होकर भगवान का स्मरण करें। इसके बाद शेषशायी भगवान विष्णु की पंचोपचार पूजा करें। इसके बाद मन को शांत रखते हुए ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। इसके लिए धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें। इस दिन रात को सोए नहीं। सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। शाम को पुन: भगवान विष्णु की पूजा करें व रात में भजन कीर्तन करते हुए धरती पर विश्राम करें।

अगले दूसरे दिन यानी की 24 जून, रविवार के दिन सुबह पहले की तरह करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें। इस एकादशी का व्रत करने से अन्य तेईस एकादशियों पर अन्न खाने का दोष छूट जाता है-

एवं य: कुरुते पूर्णा द्वादशीं पापनासिनीम् ।
सर्वपापविनिर्मुक्त: पदं गच्छन्त्यनामयम् ॥

इस प्रकार जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।

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निर्जला एकादशी व्रत कथा
एक बार जब महर्षि वेदव्यास पांडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प करा रहे थे। तब महाबली भीम ने उनसे कहा- पितामह। आपने प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। मैं तो एक दिन क्या, एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता- मेरे पेट में वृक नाम की जो अग्नि है, उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और कई बार भोजन करना पड़ता है। तो क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्य व्रत से वंचित रह जाऊंगा?

तब महर्षि वेदव्यास ने भीम से कहा- कुंतीनंदन भीम ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एक ही एकादशी का व्रत करो और तुम्हें वर्ष की समस्त एकादशियों का फल प्राप्त होगा। नि:संदेह तुम इस लोक में सुख, यश और मोक्ष प्राप्त करोगे। यह सुनकर भीमसेन भी निर्जला एकादशी का विधिवत व्रत करने को सहमत हो गए और समय आने पर यह व्रत पूर्ण भी किया। इसलिए वर्ष भर की एकादशियों का पुण्य लाभ देने वाली इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।

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