Friday, April 26, 2024
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चैत्र नवरात्र 18 से, सर्वार्थसिद्ध योग के साथ इस शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना

त्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के साथ ही 18 मार्च से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। इसके साथ ही सर्वार्थसिद्ध योग बन रहा है। वहीं राजा सूर्य और मंत्री शनि होगे। जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त...

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 16, 2018 17:00 IST
Navratri 2018- India TV Hindi
Navratri 2018

धर्म डेस्क: चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के साथ ही 18 मार्च से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। इसके साथ ही सर्वार्थसिद्ध योग बन रहा है। वहीं राजा सूर्य और मंत्री शनि होगे। इस बार अष्टमी तिथि के क्षय होने से चैत्र नवरात्र का यह उत्सव आठ दिनों तक ही मनाया जायेगा और अष्टमी, नवमी। दोनों 25 मार्च को मनायी जायेगी। उस दिन अष्टमी तिथि सुबह 08 बजकर 03 मिनट तक रहेगी और उसके बाद नवमी तिथि लगेगी।  18 मार्च को सर्वार्थसिद्धि योग सूर्योदय 06:08 से शाम 08:10 तक। नवरात्र के पहले दिन माता के शैलपुत्री रूप का पूजन किया जायेगा।

 

शुभ मुहूर्त

राहुकाल: शाम 05:00 बजे से 06:31 तक रहेगा।
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:46 से 12:27 तक और सुबह 06:27 से दोपहर 12:29 तक। इसके बाद दोहपर 01:29 से 03:30 तक चौघड़िया रहेगी।
शुभ, अमृत और चर की चौघड़िया: शाम 06:31 से रात 10:59 तक

ध्यान रखना है कि स्थापना दिन में करना श्रेयस्कर है और सुबह 10:59 से दोपहर 12:29 के बीच पूर्वाभिमुख होकर स्थापना नहीं की जा सकती। उस समय अमृत चौघड़िया रहेगी। इस चौघड़िया में पूर्व दिशा की ओर मुख करके कोई काम करना शुभ नहीं होता। उत्तर की ओर मुंह करके की जाने वाली स्थापनाएं इस दौरान की जा सकती हैं। ये ध्यान रखने की बात है कि इस बार अभिजित मुहूर्त के दौरान भी अमृत की चौघड़िया रहेगी। लिहाजा अभिजित मुहूर्त में भी पूर्व की ओर मुंह करके स्थापनाएं नहीं की जा सकेंगी।

द्विस्वभाव लग्न: मिथुन सुबह 11:18 से 01:32 तक
दूसरी द्विस्वभाव लग्न: कन्या शाम 06:10 से रात 08:26 तक
अमृत चौघड़िया: मिथुन लग्न के दौरान सुबह 11:00 बजे से 12:29 तक
चर लग्न और चर चौघड़िया: सुबह 07:58 से 09:22 तक
कलश की स्थापना के लिये द्विस्वभाव लग्न सबसे अच्छी मानी जाती है।

अतः इस सारी चर्चा के बाद निष्कर्ष यह निकलता है कि जो लोग पूर्वाभिमुख होकर स्थापना करना चाहते हैं, वे सुबह 07:58 से 09:22 के बीच स्थापना कर सकते हैं और जो लोग उत्तराभिमुख होकर स्थापना करना चाहते हैं, वे सुबह 11 बजे से दोपहर 12:29 के बीच कलश स्थापना कर सकते हैं।

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