Thursday, March 28, 2024
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मधुर संगीत सुनने से कम होता है डिप्रेशन, जानिए कैसे

आज भाग-दौड़ भरे रफ्तार से चलने वाले जीवन में मानसिक दबाव से मस्तिष्क थककर कह रहा है- अब और नहीं, मगर उसकी आवाज सुनकर भी हम सभी अनसुना कर अपनी दिनचर्या पहले की भांति ही रखते हैं। इसके परिणामस्वरूप हम खुद में एकाकी महसूस कर मानसिक रोगों के गिरफ्त में आ जाते हैं।

India TV Lifestyle Desk Reported by: India TV Lifestyle Desk
Published on: June 22, 2018 15:14 IST
why listening to good music makes you tension free- India TV Hindi
why listening to good music makes you tension free

हेल्थ डेस्क: आज भाग-दौड़ भरे रफ्तार से चलने वाले जीवन में मानसिक दबाव से मस्तिष्क थककर कह रहा है- अब और नहीं, मगर उसकी आवाज सुनकर भी हम सभी अनसुना कर अपनी दिनचर्या पहले की भांति ही रखते हैं। इसके परिणामस्वरूप हम खुद में एकाकी महसूस कर मानसिक रोगों के गिरफ्त में आ जाते हैं।

 

मस्तिष्क में स्फूर्ति के लिए निश्चित समय पर विश्राम मनोरंजन की आवश्यकता की पूर्ति मानसिक स्वस्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। बढ़ती उम्र का दबाव हो या किशोरावस्था का प्रतिबल, प्रत्येक प्रकार के चिंता रूपी नकारात्मक विचारों को परिवर्तित दिशा देने की ऊर्जा सात सुरों के सरगम तबला, हारमोनियम, सितार, वीणा, तानपुरा अन्य विभिन्न वाद्य यंत्रों द्वारा उत्पन्न कर्णप्रिय संगीत मस्तिष्क में कंपन कर शांति प्रदान करता है।

भारतीय शास्त्रीय संगीत के सा, रे, ग, म, प, ध, नी, सा सरगम की ध्वनि तीनों सप्तक कोमल तीव्र स्वरों की तुलना आप झरनें, पवन, कोयल, मोर, पेड़-पौधे, पशु-पक्षियों के प्राकृतिक मधुर संगीत आदर के साथ कर सकते हैं। भारतीय संगीत गायन, वादन, नृत्य हो या फिर प्राकृतिक संगीत सभी में सात सुरों के सरगम का समावेश है।

राग चिकित्सा, नाद योग पुरातन समय से हमारे देश में आज भी प्रयोग की जाने वाली संगीत चिकित्सा है जो आपके अंर्तमन को उच्च जीवनी शक्ति प्रदान कर संवृद्ध कर कैंसर जैसी लाइलाज रोग को भी मात देने में काफी हद तक सफल है। नाद योग द्वारा लयबद्ध श्वांस लेने की एक निश्चित आवृत्ति वाद्य यंत्र ध्वनि उत्पन्न करती है, जिसका निरंतर प्रयोग मानव शरीर के मेरुदंड में सातों चक्रों के प्रबंध तक पहुंचती है।

कुछ चुने गए रागों के माध्यम से संगीत मनोचिकित्सकों द्वारा अवसाद, विषाद, दबाव, प्रतिबल आदि मानसिक विकृतियों के मनोभाव, आवेश, संवेग, चित्त क्षोभ को दूर करके व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ बना नयी ऊर्जा का मस्तिष्क में संचार करते हैं।

संगीत सकारात्मक आत्मछवि का निर्माण कर जीवन की शारीरिक व मानसिक समस्याओं का सामना करने की नीतिगत विचार तकनीक सिखाता है। संगीत ध्यान को स्थिर करके श्वांसों की निश्चित स्थिर गति योग अचेतन मस्तिष्क की मधुर तरंगों को उदीप्त करती है। अक्सर हमने देखा है कि रोते हुए बच्चे मधुर संगीत सुनकर सो जाते हैं, जिससे हम सभी जानते हैं कि संगीत मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है। कुछ अच्छे शब्दों को बोलने की अपेक्षा लयबद्ध संगीत बच्चे के मन को शांति देने में प्रभावी है।

मनोचिकित्सा के अतिरिक्त संगीत व्यक्ति के मन:स्थिति को ठीक करके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार करता है। संगीत सुनने मात्र से ही दुखी व्यक्ति में हर्ष के मनोभाव संवेग उत्पन्न होते हैं जो नकारात्मक विचारों को साफ करके नई सकारात्मक ऊर्जा द्वारा उमंग के साथ जीवन जीने के लिये प्रेरित करती है।

संगीत मनो चिकित्सा द्वारा आज क्रोध, ईष्र्या, शोक आदि संज्ञानात्मक संवेगों को परिवर्तित करना, प्रौढ़ावस्था की शारीरिक व मानसिक समस्याओं से संगीत द्वारा जीवन जीने की इच्छा प्रबल करना, मादक द्रव्यों का सेवन करने वालों का उपचार, बच्चों को संगीत द्वारा शिक्षा एवं मानसिक विकास, विकलांग बच्चों को संगीत द्वारा शिक्षा आदि के दिशा में नित नए सफल प्रयोग एवं विश्व में मनोरोग विशेषज्ञ शोधकर्ताओं द्वारा शोध कार्य हो रहे हैं।

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