Friday, March 29, 2024
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हार्ट अटैक का यह तरीका तेजी से फैल रहा है

ऐसे एक-तिहाई लोगों में इजेक्शन फ्रैक्शन 50 प्रतिशत से ज्यादा होता है, जो काफी सामान्य बात है। वैसे इससे होने वाली मौतों की दर सामान्य हार्ट फेल होने से होने वाली मौत के बराबर है। हर साल 20 प्रतिशत लोगों की मौत हार्ट फेल होने से होती है..

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: September 28, 2016 19:26 IST
heart attack- India TV Hindi
Image Source : PTI heart attack

हेल्थ डेस्क:  दिल जब रक्त पंप नहीं कर पाता तो उस स्थिति को हार्ट फेल होना कहा जाता है। लेकिन हार्ट फेल होने का एक ऐसा तरीका भी है, जिसमें दिल के रक्त पंप करने की कुशलता लगभग सामान्य रहती है। यह जानकारी एचसीएफआई के अध्यक्ष एवं आईएमए के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने दी है। दूसरी किस्म के इस हार्ट फेल होने को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जो कि जानलेवा होता है।

यहां जारी एक बयान के अनुसार, इस हालत में दिल की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं। अंदर का चैंबर छोटा हो जाता है और दिल को आराम करने की उस स्थिति में जाने का मौका नहीं मिलता, जिससे रक्त पंप होकर बाहर निकल सके। ऐसा न होने पर रक्त वापस फेफड़ों में चला जाता है। इस तरह की गड़बड़ी इजेक्शन फ्रैक्शन (प्रंकुचन के दौरान वेन्ट्रिकल द्वारा फेंके गए रक्त की प्रतिशतता) से नहीं मापी जा सकती।

डॉ. अग्रवाल ने न्यू इंग्लैंड जनरल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित दो अध्ययनों के हवाले से कहा कि इस किस्म के हार्ट फेल होने को डायस्टॉलिक हार्ट फेल होना कहा जाता है, क्योंकि इसमें यह समस्या दिल की गतिविधि के डायस्टॉल हिस्से में होती है, जब दिल धड़कने के बाद आराम की स्थिति में होता है।

ऐसे एक-तिहाई लोगों में इजेक्शन फ्रैक्शन 50 प्रतिशत से ज्यादा होता है, जो काफी सामान्य बात है। वैसे इससे होने वाली मौतों की दर सामान्य हार्ट फेल होने से होने वाली मौत के बराबर है। हर साल 20 प्रतिशत लोगों की मौत हार्ट फेल होने से होती है। पिछले 15 सालों में हार्ट फेल होने के दोनों तरीकों में वृद्धि हुई है।

दोनों तरह के हार्ट फेल होने के लक्षण एक जैसे होते हैं, जैसे कि सांस टूटना, कसरत करने मे मुश्किल और शरीर में तरल बढ़ना आदि।

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