Friday, April 19, 2024
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5 साल पहले से मिलने लगते है मल्टीपल स्क्लेरोसिस के संकेत, ऐसे रखें खुद का ख्याल

एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) की पहचान करीब पांच साल पहले की जा सकती है क्योंकि इसके मरीजों में तंत्रिका तंत्र विकार जैसे दर्द या नींद की समस्या के इलाज से गुजरने की संभावना ज्यादा होती है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: July 18, 2018 9:33 IST
Multiple Sclerosis- India TV Hindi
Image Source : TWIITER Multiple Sclerosis

हेल्थ डेस्क: एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) की पहचान करीब पांच साल पहले की जा सकती है क्योंकि इसके मरीजों में तंत्रिका तंत्र विकार जैसे दर्द या नींद की समस्या के इलाज से गुजरने की संभावना ज्यादा होती है।

दिखते है ये लक्षण

शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र में माइलिन पर हमला होने से एमएस की दिक्कते पैदा होती है। माइलिन, वसीय पदार्थ है जो इलेक्ट्रिकल संकेतों के तेज संचरण को सक्षम बनाता है। माइलिन पर हमले से दिमाग व शरीर के दूसरे हिस्सों में संचार में बाधा पहुंचती है। इससे दृष्टि संबंधी समस्याएं, मांसपेशियों में कमजोरी, संतुलन व समन्वय में परेशानी होती है। चक्कर आना, थकान, कंपन, शरीर में झुनझुनी होना, एक आंख से धूंधला दिखना आदि समस्याएं हो सकती है।

कनाडा में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय की न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख शोधकर्ता हेलेन ट्रेमलेट ने कहा, "इस तरह के चेतावनी वाले संकेतकों की मौजूदगी को अल्जाइमर बीमारी व पर्किं सन्स रोग के लिए अच्छी तरह से स्वीकार किया जाता है, लेकिन इस तरह के एमएस के पैटर्न के लिए खोज कम हुई है।"

ट्रेमलेट ने कहा, "हमें इस घटना की गहराई में जाने के लिए शायद डाटा माइनिंग तकनीक के इस्तेमाल से गुजरने की जरूरत है। हम देखना चाहते हैं कि क्या लिंग, आयु व एमएस के विकसित होने के पैटर्न प्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हैं।"

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Image Source : MEDICINENET
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क्या होता है मल्टीपल स्केलेरोसिस?
मल्टीपल स्केलेरोसिस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र या सेंट्रल नर्वस सिस्टम की एक बीमारी है जो मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और ऑप्टिक तंत्रिका (optic nerve) को प्रभावित करती है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें एंटीबॉडी मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और आंखों के नसों पर प्रभाव डालती है। यह आम तौर पर 10 से 16 साल के आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है। हालांकि, 20 और 30 की महिलाओं को इसका बहुत अधिक ख़तरा होता है। पुरुषों की तुलना में, एमएस महिलाओं में अधिक आम है और यह लोगों को 60 वर्ष की आयु तक प्रभावित कर सकता है।

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