Friday, April 19, 2024
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इस कारण भारत में तेजी से बढ़ रही है बच्चों की मृत्यु दर, ऐसे करें बचाव

देश में जेनेटिक विकार एक बहुत ही गंभीर स्वास्थ्य समस्या, जिसके लिए माता-पिता को सोचे-समझे विकल्प उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की तत्काल आवश्यकता है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: July 17, 2018 13:39 IST
genetic disorder- India TV Hindi
Image Source : INSTRAGRAM genetic disorder

हेल्थ डेस्क: भारत में प्रत्येक दिन सैकड़ों बच्चों का जन्म कई प्रकार के दोषों के साथ होता है, जिसके कारण दिव्यांगता और मृत्यु के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। देश में जेनेटिक विकार एक बहुत ही गंभीर स्वास्थ्य समस्या, जिसके लिए माता-पिता को सोचे-समझे विकल्प उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की तत्काल आवश्यकता है।

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल का मानना है, "उन मामलों में आनुवांशिक परीक्षण जरूरी है, जहां किसी एक साथी में वंशानुगत विकार हैं, परिवार में अनुवांशिक विकार का इतिहास है, कई गर्भावस्था क्षति का इतिहास है, या बच्चों में जन्मजात विसंगतियां हैं। कई महिलाएं देरी से गर्भावस्था वाली जीवन शैली का चयन कर रही हैं, और देश के कुछ हिस्सों में असंगतता के प्रसार के साथ, भारत में आनुवांशिक विकारों के साथ पैदा होने वाले बच्चों का एक बड़ा जोखिम है।"

उन्होंने यहां जारी एक बयान में कहा, "भारत वह देश है, जहां विवाह से पहले कुंडली मिलाने को बड़ा महत्व दिया जाता है। हालांकि, अब समय इस बात का है कि शादी से पहले जेनेटिक स्क्रीनिंग या परीक्षण और परामर्श भी अनिवार्य कर देना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भावस्था और प्रसव के दौरान कई मुद्दों को रोकने में मदद मिलेगी।"

यूनिसेफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल करीब एक लाख 34 हजार बच्चों की मृत्यु पांच साल से कम उम्र में ही हो जाती है। इनमें से लगभग 10 प्रतिशत जन्मजात विकृतियों के कारण होती है। जन्मजात विकृतियों से पैदा हुए बच्चांे में से आधे से अधिक एकल जीनों में दोषों के कारण होते हैं, जबकि 10 प्रतिशत गुणसूत्र असामान्यताओं के कारण होते हैं।

डॉ. अग्रवाल ने बताया, "आनुवंशिक असामान्यताओं के साथ पैदा होने वाले बच्चों की खतरनाक संख्या के साथ अब वक्त है कि भारत एनजीएस नियमित आनुवंशिक परीक्षण को अपनाए। यह एक व्यापक परीक्षण है और सभी प्रकार के आनुवांशिक उत्परिवर्तनों का पता लगा सकता है और एक ही समय में सटीक, तेज और लागत प्रभावी है।"

ऐसे रखें ख्याल

डॉ. अग्रवाल ने कहा, "अपने घर में और अपनी त्वचा पर उपयोग किए जाने वाले उत्पादों से अवगत रहें। स्वस्थ भोजन करें और अपने आहार में ताजा फल और सब्जियां शामिल करें। तनाव से निपटने के लिए कदम उठाएं। व्यायाम, समुचित नींद, और मेडिटेशन को महत्व दें। आप तनाव से छुटकारा पाने के लिए योग का चयन भी कर सकते हैं। अच्छी नींद लें। धूम्रपान और मदिरापान से बचें या कम करें।"

(इनपुट आईएएनएस)

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