Friday, March 29, 2024
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एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के चपेट में है भारतीय युवा, लक्षण जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसके मामले देश में बहुत ज्यादा देखने को मिल रहे है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि देश में 100 में से एक भारतीय वयस्क इस बीमारी से जूझ रहा है। यह बीमारी पुरुषों में ज्यादा पाई जा रही है और सबसे चिंता का विषय यह है कि इससे 20 से 30 साल की उम्र के लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: September 10, 2018 17:18 IST
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हेल्थ डेस्क: एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसके मामले देश में बहुत ज्यादा देखने को मिल रहे है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि देश में 100 में से एक भारतीय वयस्क इस बीमारी से जूझ रहा है। यह बीमारी पुरुषों में ज्यादा पाई जा रही है और सबसे चिंता का विषय यह है कि इससे 20 से 30 साल की उम्र के लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित विशाल कुमार की उम्र अभी 34 साल ही है और वह पिछले आठ साल से पीठ के निचले हिस्से और कूल्हों में गंभीर दर्द की वजह से बिस्तर पर ही अपनी जिंदगी जी रहे थे। करीब 12 साल पहले विशाल को रीढ़ की हड्डी और कूल्हों में एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) होने का पता चला था। धीरे धीरे दर्द इतना बढ़ा कि उनकी जिंदगी बिस्तर तक ही सीमित रह गई। बाद में उन्हें टोटल हिप रिप्लेसमेंट (टीएचआर) का सहारा लिया। अब वह सामान्य जीवन बिता रहे हैं।

एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के बारे में शालीमार बाग के मैक्स अस्पताल के ओर्थोपेडिक्स व ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के डॉयरेक्टर डॉ. पलाश गुप्ता ने कहा, "यह आर्थराइटिस का ही एक प्रकार है, जिसमें रीढ़ की हड्डी में लगातार दर्द रहता है और गरदन से लेकर पीठ के निचले हिस्से तक में अकड़न आ जाती है। यह स्थिति हड्डियों के ज्यादा विकसित होने की वजह से होती है, जिसके हड्डियों में असामान्य फ्यूजन होने लगता है और मरीज को रूटीन का काम करना तक मुश्किल हो जाता है।"

उन्होंने कहा कि यह स्थिति आमतौर पर उन लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है, जिनके रक्त में एचएलए-बी27 एंटीजन होता है। एचएलए-बी27 एंटीजन प्रोटीन है, जो सफेद रक्त कोशिकाओं की सतह पर होता है। यह प्रोटीन इम्यून सिस्टम को सही तरीके से काम नहीं करने देते जिससे इम्यून सिस्टम सेहतमंद कोशिकाओं पर अटैक करने लगते हैं और इसके परिणामस्वरूप एएस जैसी बीमारी होती है।(इस तरह की पेनकिलर खाना हो सकता है खतरनाक, आपको आ सकता है हार्ट अटैक)

बीमारी के बारे में अधिक विस्तार से बताते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा, "स्वस्थ रीढ़ की हड्डी किसी भी दिशा में मुड़ और झुक सकती है लेकिन एएस प्रभावित स्पाइन में अकड़न आ जाती है। रीढ़ की हड्डी में अकड़न आने से रोगी के लिए स्पाइन को हिलाना लगभग नामुमकिन हो जाता है और एडवांस स्टेज में रोगी बिस्तर पर आ जाता है।"(बच्चों के लिए पैक करें लंच बॉक्स तो इन बातों का जरूर रखें ख्याल)

अस्वस्थ जीवनशैली, बैठने का तरीका सही न होना, बहुत ज्यादा तनाव होना और लगातार कई घंटों तक काम करते रहने से युवाओं में हड्डियों व जोड़ों की समस्या सबसे ज्यादा आती दिख रही है।(आयुर्वेद के हिसाब से कुछ इस तरीके से होनी चाहिए सुबह की शुरुआत)

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