Friday, March 29, 2024
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साहित्यिक चोरी पर यूजीसी सख्त, नए नियमों के तहत जा सकती है अध्यापकों की नौकरी और छात्रों का पंजीकरण होगा रद्द

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साहित्यिक चोरी पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नये नियमों को मंजूरी दे दी है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 05, 2018 23:12 IST
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Image Source : PTI/FILE  मानव संसाधन विकास प्रकाश जावड़ेकर।
नई दिल्ली: मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साहित्यिक चोरी पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नये नियमों को मंजूरी दे दी है। ऐसे में साहित्यिक चोरी के दोषी पाए गए शोधार्थी का पंजीकरण रद्द हो सकता है और अध्यापकों की नौकरी जा सकती है। मंत्रालय ने यूजीसी (उच्चतर शिक्षा संस्थानों में अकादमिक सत्यनिष्ठा और साहित्य चोरी की रोकथाम को प्रोत्साहन) विनियम, 2018 को इस हफ्ते अधिसूचित कर दिया। 
 
यूजीसी ने इस साल मार्च में अपनी बैठक में नियमन को मंजूरी देते हुए साहित्यिक चोरी (प्लेगरिज्म) के लिए दंड का प्रावधान किया। गजट अधिसूचना के मुताबिक, छात्रों के लिए 10 प्रतिशत तक साहित्यिक चोरी पर कोई दंड का प्रावधान नहीं है जबकि 10 प्रतिशत से 40 प्रतिशत के बीच साहित्यिक चोरी पाए जाने पर छह महीने के भीतर संशोधित शोधपत्र पेश करना होगा। इसी तरह 40 से 60 प्रतिशत समानताएं मिलने पर छात्रों को एक साल के लिए संशोधित पेपर जमा करने से रोक दिया जाएगा। इससे ऊपर के मामले में पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा। 
 
इसी तरह अध्यापकों के लिए भी दंड का प्रावधान किया गया है। दस प्रतिशत से चालीस प्रतिशत समानता पर पांडुलिपि वापस लेने को कहा जाएगा। चालीस से 60 प्रतिशत समानता पर दो वर्ष की अवधि के लिए पीएचडी छात्र का पर्यवेक्षण करने से रोक दिया जाएगा और एक वार्षिक वेतन वृद्धि के अधिकार से वंचित किया जाएगा। साठ प्रतिशत से अधिक समानता पर उनके खिलाफ निलंबन या सेवा समाप्ति का भी कदम उठाया जा सकता है ।

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