Tuesday, April 23, 2024
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प. बंगाल में सेना की तैनाती पर हंगामा, राज्यसभा की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित

पश्चिम बंगाल में टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती का मुद्दा राज्यसभा में भी उठा। विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की।

IANS IANS
Published on: December 02, 2016 16:37 IST
Rajya sabha - India TV Hindi
Image Source : PTI Rajya sabha

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती का मुद्दा राज्यसभा में भी उठा। विपक्षी सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की। इस क्रम में खूब नारेबाजी हुई, जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

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विपक्षी सदस्यों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना जर्मनी के तानाशाह हिटलर से की। विपक्ष ने पश्चिम बंगाल में टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती का मुद्दा उठाया, जिसके बाद सरकार ने कहा कि इसे बेवजह तूल दिया जा रहा है। यह नियमित सालाना सैन्याभ्यास था, जिसके बारे में राज्य सरकार को पहले ही सूचित कर दिया गया था।

विपक्षी सदस्य हालांकि सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और नारेबाजी जारी रखी, जिस वजह से सभापति हामिद अंसारी ने सदन की कार्यवाही सोमवार तक स्थगित कर दी।

विपक्षी सदस्यों ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही शून्य काल में यह मुद्दा उठाया। सभापति ने जैसे ही दोपहर 12 बजे प्रश्नकाल चलाने को कहा, विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद वे सभापति की आसंदी के पास पहुंच गए। उन्होंने 'मोदी तेरी हिटलरशाही, नहीं चलेगी, नहीं चलेगी' के नारे लगाए।

राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने पश्चिम बंगाल में सेना की तैनाती का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस बारे में पहले से सूचना नहीं दी गई थी। आजाद ने कहा, "पश्चिम बंगाल में 19 स्थानों पर टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती की गई। इस बारे में मुख्य सचिव, राज्य पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) को कोई सूचना नहीं दी गई। हम इसे समझ नहीं पा रहे हैं।"

आजाद ने कहा, "सेना की कई बार आपात स्थितियों में तैनाती की जाती है, लेकिन बंगाल में कोई आपात स्थिति नहीं है। वहां कानून एवं व्यवस्था की स्थिति अच्छी है। यह सिर्फ एक राज्य सरकार या एक पार्टी के लिए चिंता की बात नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए चिंताजनक है।" तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सुखेंदू शेखर रॉय और बसपा प्रमुख मायावती ने भी आजाद का समर्थन किया। रॉय ने कहा कि यह लोगों के भीतर भय बैठाने का केंद्र सरकार का प्रयास है।

मायावती ने इसे 'देश के संघीय ढांचे पर हमला' करार दिया। विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए सरकार ने इसे 'नियमित अभ्यास' करार दिया। रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे एक बयान में कहा, "यह सेना के पूर्वी कमान का नियमित वार्षिक अभ्यास था। इसके लिए पहले 27-28 नवंबर की तारीख निश्चित की गई थी, लेकिन बाद में भारत बंद की वजह से कोलकाता पुलिस के आग्रह पर इसकी तारीख बढ़ाकर 30 नवंबर और दो दिसंबर कर दी गई।"

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