Tuesday, March 19, 2024
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इसलिए CJI के खिलाफ महाभियोग नोटिस पर नहीं हैं पूर्व PM मनमोहन सिंह के हस्ताक्षर!

यह पहला अवसर है जब देश के चीफ जस्टिस को पद से हटाने के लिये उन पर महाभियोग चलाने के प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है...

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: April 20, 2018 15:56 IST
Former PM Manmohan Singh | PTI- India TV Hindi
Former PM Manmohan Singh | PTI

नई दिल्ली: कांग्रेस  ने शुक्रवार को दावा किया कि विपक्षी दलों की ओर से देश के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को रणनीति के तहत शामिल नहीं किया गया है। यह पहला अवसर है जब देश के चीफ जस्टिस को पद से हटाने के लिये उन पर महाभियोग चलाने के प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को विपक्षी दलों की ओर से महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस सौंपने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि डॉ. सिंह सहित अन्य प्रमुख नेताओं को जानबूझ कर इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया है।

प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं के नाम पर पार्टी में मतभेद के सवाल पर सिब्बल ने कहा,‘इस बारे में पार्टी में विभाजन जैसी कोई बात नहीं है। डॉ. सिंह पूर्व प्रधानमंत्री हैं इसलिए हमने जानबूझ कर उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया है।’ सिब्बल ने स्पष्ट किया कि डॉ. सिंह ही नहीं बल्कि कुछ अन्य ऐसे वरिष्ठ नेताओं को भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में शामिल नहीं किया है जिनके खिलाफ कोर्ट में मामले लंबित हैं। संसद के बजट सत्र में विपक्षी दलों की ओर से चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस की कवायद शुरू होने के बाद सभापति को नोटिस सौंपने के लिये अब तक इंतजार करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि गत 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे. चेलामेश्वर सहित 4 जजों ने न्यायपालिका में व्यवस्था संबंधी प्रश्न उठाए थे।

सिब्बल ने कहा,‘तब हम इस उम्मीद में चुप रहे कि चीफ जस्टिस अन्य जजों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर संज्ञान ले कर कारगर कदम उठाएंगे। तब से अब तक 3 महीने के इंतजार के बाद भी कुछ नहीं होने पर हम न्यायपालिका की स्वायत्तता पर मंडराते खतरे को देखकर चुप नहीं बैठे रह सकते थे। अब हमें भारी मन से यह कदम उठाना पड़ा।’ सभापति द्वारा प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने की स्थिति में भविष्य की रणनीति के सवाल पर सिब्बल ने कहा कि नोटिस में चीफ जस्टिस के विरुद्ध लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए इसे स्वीकार किये जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा,‘अगर सभापति प्रस्ताव के नोटिस को खारिज करते हैं तो संविधान में हमारे लिये इसके विकल्प के रूप में अन्य तमाम रास्ते मौजूद हैं। फिलहाल हमें सभापति के रुख का इंतजार है।’

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