Thursday, March 28, 2024
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दिल्ली के एम्स में अटल ने दुनिया को कहा अलविदा, मृत्यु से हार गया भारतीय राजनीति का 'अजातशत्रु'

भारत पूर्व प्रधानमंत्री और अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है। वह 93 वर्ष के थे। अटल बिहारी वाजपेयी काफी लंबे समय से बिमार चल रहे थे। भाजपा के 93 वर्षीय नेता मधुमेह से पीड़ित हैं और उनकी एक किडनी ही काम कर रही है। उन्हें 2009 में मस्तिष्काघात हुआ थ

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 16, 2018 18:37 IST
atal bihari vajpayee- India TV Hindi
atal bihari vajpayee

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी नेता अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है। वह 93 वर्ष के थे। अटल बिहारी वाजपेयी काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। भाजपा के 93 वर्षीय नेता मधुमेह से पीड़ित थे और उनकी एक किडनी ही काम कर रही थी। उन्हें 2009 में मस्तिष्काघात हुआ था जिसके कारण उनकी संज्ञात्मक क्षमता कमजोर हो गई थी। उन्हें 11 जून को एम्स में भर्ती किया गया था। बुधवार (15 अगस्त) को उनकी स्थिति और बिगड़ गई। एम्स द्वारा जारी शाम 5:30 पर जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री ने 5 बजकर 5 मिनट पर दुनिया को अलविदा कह दिया।  (Vajpayee Health Latest Updates: पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की हालत बेहद नाजुक, कुछ देर में मेडिकल बुलेटिन )

आजीवन अविवाहित रहने का लिया संकल्प

वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक हैं और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वाजपेयी जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। वाजपेयी एक प्रधानमंत्री के रूप में 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर कांग्रेसी नेता थे।

पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुटे रहे
अटल जी ने बी०ए० की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) से प्राप्त की। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। उन्होंने कानपुर के डी०ए०वी० कालेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई भी शुरू की लेकिन उसे बीच में ही छोड़कर वह पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ  राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का काम भी किया।

11 जून से एम्स में थे भर्ती
11 जून को एम्स में भर्ती होने के बाद उनका डायलिसिस किया गया था। बुधवार को हालत बिगड़ने के बाद वाजपेयी वेंटिलेटर सपॉर्ट पर रखे गए थे और एम्स के सीएन टावर स्थित आईसीयू में डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी हालत पर नजर रखी हुई थी। हालांकि जीवन में हर चुनौती का डटकर मुकाबला करने वाले वाजपेयी इस बार मौत को मात नहीं दे पाए और गुरुवार को घड़ी की सुई ने जैसे ही शाम के 5:05 बजाए, उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

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