Saturday, April 20, 2024
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BLOG: "ताऊ-चचा के डर ने इकठ्ठा तो कर दिया, पर काकी कुनबा संभाल पाएगी?"

अब साल 2017 में पटना में परिवार में लड़ाई हुई थी तो काकी ही बीच बचाव में लगीं थीं। बहुत कोशिश की थी कि बाहरवाले झगड़े का फायदा न उठा पाएं। इसके बावजूद घर मे दरार आ ही गयी। इतने सालों के बाद साथ आये भाई फिर अलग हो गए। ये बाहरवाले परिवार की एकजुटता पर हंस रहे हैं।

Sucharita Kukreti Written by: Sucharita Kukreti
Published on: May 24, 2018 14:03 IST
Blog by Sucherita Kukreti on HD Kumaraswamy oath taking ceremony in Karnataka- India TV Hindi
BLOG: "ताऊ-चचा के डर ने इकठ्ठा तो कर दिया, पर काकी कुनबा संभाल पाएगी?"

बेंगलुरु में घर के जश्न में शामिल होने सारे रिश्तेदार पहुंचे।। देश के अलग-अलग हिस्सों से पहुंचे। बड़ी दीदी बंगाल से आईं। छोटी बहनजी, भतीजे के साथ लखनऊ से। व्यक्तिगत कारणों से पटना वाले भैया नही आ पाए लेकिन घर मे सब को बुरा न लगे इसलिए बबुआ को भेज दिए। आंध्र और महाराष्ट्र  वाले ताऊजी ने भी समय निकाल ही लिया, ये देख कर सब बहुत खुश थे। पर इन सब मे दिल्ली वाली काकी की बात ही कुछ और है। स्वास्थ्य कारणों से अब ज़्यादा बाहर निकलती नही हैं। सारा काम बेटे को सौंप दिया है। कुछ खास मौकों पर ही जाती हैं। और ये जश्न तो बेहद खास था। वो जैसे ही पहुंची सब मिलने के लिए दौड़े। आखिर काकी की शख्सियत है ही ऐसी। कई बार घर के झगड़े सुलझाए हैं, मनमुटाव दूर किये हैं। काकी पर ही इस घर को बिखराव से बचाने की ज़िम्मेदारी रहती है।

अब साल 2017 में पटना में परिवार में लड़ाई हुई थी तो काकी ही बीच बचाव में लगीं थीं। बहुत कोशिश की थी कि बाहरवाले झगड़े का फायदा न उठा पाएं। इसके बावजूद घर मे दरार आ ही गयी। इतने सालों के बाद साथ आये भाई फिर अलग हो गए। ये बाहरवाले परिवार की एकजुटता पर हंस रहे हैं। सोच रहे हैं जो हमेशा से होता रहा है वो अब भी होगा। इतना बड़ा कुनबा साथ कहाँ चल पाएगा? लेकिन इस बार सब गुस्से में हैं। ये बाहरवाले ताऊ और चचा ने सबकी ज़मीन ज़ब्त जो कर ली है।

क्या यूपी क्या बिहार, गुजरात, राजस्थान से होते हुए हिमाचल, हरयाणा, यहां तक कि गोवा मणिपुर की भी ज़मीन अपने नाम करवा ली है। अब तो बची हुई ज़मीन का डर खाये जा रहा है घरवालों को। बंगाल वाली दीदी ने तो तय कर लिया है कि मोर्चेबंदी तो करनी ही होगी। इसी साल वो दिल्ली जा कर काकी से मिली भी थीं। 2016 में बंगाल की जायदाद को लेकर जो झगड़ा हुआ था उसे भूल कर आगे बढ़ने की बात कही थी। क्या हुआ अगर उस वक़्त काकी ने कह दिया था कि दीदी और बाहरवाले ताऊ में कोई फर्क नही। क्या हुआ अगर काकी ने तब कह दिया था की दीदी सिर्फ और सिर्फ अपने बारे में सोचती है। आगे ज़मीन बचानी है तो साथ  तो आना होगा। तो क्या अगर इसके लिए दीदी को काकी के उस लाल झण्डे वाले दोस्त के साथ ही कदम मिलाने हों जिसे खुद दीदी ने घर से निकाला था। और वो लाल झंडे वाला दोस्त भी ढीट है। उसे कुचलकर, उसके सुर्ख लाल रंग से दीदी ने  माँ माटी मानुष की तसवीर अपने घर पे बनवाई थी। फिर भी आ गया साथ खड़े होने।

अर्रे फूटी आंख तो लखनऊ वाली बहनजी और भतीजा भी नही देख पाते थे एक दूसरे को। बुआ भतीजे में बड़ी खटपट रही। बुआ ने भतीजे के परिवारे को गुंडा, दबंग, चोर...क्या-क्या नही कहा। सालों पहले गेस्ट हाउस में बंद कर देने का गुस्सा तो बुआ को आज तक है। लेकिन अब दोनों को समझ आ रहा है कि गेस्ट हाउस से तो निकल गए, पर अगर अपने ही घर से निकल गए तो वापसी मुश्किल होगी।। इसीलिए साथ आ कर हाल ही में गोरखपुर और फूलपुर में कुछ प्रॉपर्टी खरीद ली। ताऊ-चचा को धक्का भी बड़ा लगा। अब यहीं से सब बोली साथ ही लगाने का मन बनाया है। आज परिवार के साथ आने से सबसे ज़्यादा खुश काकी थीं। कभी दीदी का हाथ थामा तो कभी बहनजी को गले लगाया।। 2014 के बाद शायद पहली बार ये भरोसा हुआ कि अब कुछ संपत्ति बेटे के नाम करवा पाएंगी। अगली पीढ़ी के लिए भी तो छोड़ के जाना है। उनका भविष्य भी तो संवारना होगा।

भले ही बाहरवाले ताऊ-चचा ने ऐलान कर दिया है कि 2019 में वो बाकी बची ज़मीन भी जब्त कर लेंगे लेकिन परिवार की ताकत वो पहचान नही पा रहे। अब ये बाहरवाले ताऊ की आदत है मज़ाक करने की।। काकी के बेटे को दबंग बता दिया। लाइन तोड़कर बाल्टी भरने वाला दबंग अब बताओ भला, ये कोई बात हुई?? ताऊ समझ नही रहे कि बाल्टी भरवाने में वो खुद मदद कर रहे हैं..बस उस बाल्टी को उठाएगा कौन-ये तय बाद में होगा। और हां...इस बीच कुछ और खेल मत करना वर्ना याद रखो जश्न में दिल्ली वाले भाईसाब भी आये थे और वो आंदोलन करना अच्छी तरह जानते हैं!!!

(ब्‍लॉग लेखिका सुचरिता कुकरेती देश के नंबर वन चैनल इंडिया टीवी में न्‍यूज एंकर हैं) 

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