नई दिल्ली: वातावरण में लगातार होने वाले बदलावों को लेकर अलग-अलग देशों और धर्मों में दुनिया के खत्म होने या महाप्रलय की बातें की जाती रही है, लेकिन किसी ने भी इस बात की सटीक जानकारी नहीं दी है कि असल में दुनिया के खत्म होने का समय कब आएगा। जहां धार्मिक वक्ताओं ने कई धार्मिक ग्रंथों को आधार बनाकर कई भविष्यवाणियां की हैं वहीं कई वैज्ञानिकों ने भी कलियुग के अंत का समय बताने की बात की है। (ये भी पढ़ें: वो मेरे बेडरूम में घुस आई, मैं तो हैरान रह गया: यासीन मलिक)
हालही में महान भौतिकविद स्टीफन हॉकिंग ने चेतावनी दी थी कि बदलती जलवायु को देखते हुए खुद को बचाए रखने के लिए मनुष्य को दूसरी धरती ढूंढ़ लेनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 100 साल बाद पृथ्वी पर लोगों का रहना मुश्किल हो जाएगा। बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री एक्पेडिशन न्यू अर्थ में हॉकिंग और उनके छात्र क्रिस्टोफ गलफर्ड ने इस बात की पड़ताल की है कि बाहरी दुनिया में मनुष्य किस प्रकार से रह सकता है।
वहीं अमेरिका की तीन विश्वविद्यालयों के ताजा अध्ययन में पाया गया कि दुनिया एक और सामूहिक विलोपन (Mass extinction) के दौर में प्रवेश कर रही है। शोधकर्ताओं ने आशंका जताई कि इसकी चपेट में सबसे पहले इंसान आएंगे। स्टैनफर्ड, प्रिंसटन और बर्कली विश्वविद्यालय का अध्ययन कहता है कि जीवों की प्रजातियां सामान्य के मुकाबले 114 गुना ज्यादा रफ्तार से विलुप्त हो रही हैं। इस अध्ययन ने 2014 में आई ड्यूक यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट की पुष्टि की।
दूसरी तरफ लियोनार्दो द विंची सन 4006 के अनुसार भी दुनिया खत्म होने के लिए एक समय निर्धारित किया गया है जिसमें कलियुग की दुनिया का अंत हो जाएगा। 'लियोनार्दों द विंची' इतालवी पुनर्जागरण के सबसे बड़े ज्ञाताओं में से एक माने जाते हैं।
'द विंची' के मुताबिक, एक भंयकर बाढ़ से 21 मार्च 4006 से इस अंत का आगमन होगा और यह 1 नवंबर 4006 को पूरी दुनिया जलमग्न हो जाएगी। और इस तरह से एक बार फिर नए युग की धरती पर शुरुआत होगी।
बल्गारिया के भविष्यवक्ता बाबा वांगा को बाल्कन के नास्त्रेदमस के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने जितनी भी भविष्यवाणियां की है उन्हें सच माना गया है। इन्होंने यह भविष्यवाणी की थी कि सन 3005 में मंगल ग्रह पर सबसे बड़ा मानव युद्ध होगा। हम एलियन की दुनिया से संपर्क साधेंगे। इसके बाद वर्ष 5079 तक आते-आते दुनिया खत्म हो जाएगी।
माया सभ्यता के कैलेंडर के अनुसार 21 दिसंबर 2012 को दुनिया के खात्मे की भविष्यवाणी की गई थी। जोकि सही साबित नहीं हुई। कुछ का मानना है कि माया सभ्यता के लोगों का कैलेंडर सिर्फ तब तक था जब तक उनकी दुनिया थी जैसे ही उनका अंत हुआ उसी हिसाब से लोगों ने यह अर्थ लगाना प्रारंभ कर दिया कि इस कैलेंडर की तारीख के खत्म होने के साथ ही दुनिया भी खत्म हो जाएगी।
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