Friday, April 19, 2024
Advertisement

भारत की यात्रा पर आए UN शांतिरक्षक अभियानों के महासचिव, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से की मुलाकात

संयुक्त राष्ट्र (UN) शांति रक्षक अभियानों में परिवहन संसाधनों की कमी का उल्लेख करते हुए विश्व निकाय के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा है कि शांति रक्षक अभियान की चुनौतियों को देखते हुए सदस्य देशों खास तौर पर विकसित देशों को हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए......

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Updated on: July 01, 2018 14:40 IST
Photo, AP- India TV Hindi
Photo, AP

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र (UN)  शांति रक्षक अभियानों में परिवहन संसाधनों की कमी का उल्लेख करते हुए विश्व निकाय के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा है कि शांति रक्षक अभियान की चुनौतियों को देखते हुए सदस्य देशों खास तौर पर विकसित देशों को हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए। भारत की यात्रा पर आए संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक अभियानों के महासचिव जीन पियरे लाकरोइक्स ने बताया ‘‘संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक अभियानों में परिवहन संसाधनों खासतौर पर मध्यम एवं लड़ाकू हेलीकॉप्टर, आईईडी विस्फोटक का पता लगाने वाले उपकरणों आदि की कमी रही है।’’ उन्होंने कहा कि लाइबेरिया, आइवरी कोस्ट जैसे कुछ स्थानों पर मिशन बंद होने और दारफुर एवं हैती में मिशन में कटौती होने के बाद पिछले कुछ समय में स्थिति बेहतर हुई है। 

संसाधनों की कमी मामले में भारत से करेंगे आग्रह

लाकरोइक्स ने बताया कि उनकी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, सेना प्रमुख और रक्षा एवं विदेश विभाग के अधिकारियों से मुलाकात हुई है। यह पूछे जाने पर कि क्या संसाधनों की कमी के विषय को भारतीय पक्ष के सामने उठाया गया, उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान हमने यह नहीं कहा कि हमें कमी का सामना करना पड़ रहा है लेकिन निश्चित तौर पर इन विषयों को रखा। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि हमें तत्काल इनकी जरूरत नहीं है। ऐसी जरूरत होने पर निश्चित तौर पर भारत जैसे देश से हम आग्रह करेंगे जिसकी इन अभियानों में सक्रिय भागीदारी है। 

संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक अभियान में भारत तीसरा सबसे बड़ा दल

लाकरोइक्स ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक अभियान में भारत सक्रिय भागीदार है और भारत का दल इन अभियानों में तीसरा सबसे बड़ा दल है। भारत का ऐसे अभियानों में अनुभव है और उसके पास प्रशिक्षण की सुविधा एवं संसाधन भी है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती जटिल एवं खतरनाक क्षेत्र में काम करना है और इसके लिए बेहतर प्रशिक्षण एवं उपकरणों की जरूरत होती है। यह ऐसे समय में महत्वपूर्ण हो जाती है जब विषय खुफिया सूचना एकत्र करने से जुड़ा हो। संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि ऐसी परिस्थितयों में शांति रक्षक अभियान की चुनौतियों को देखते हुए सदस्य देशों खास तौर पर विकसित देशों को हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए।

चार देशों की यात्रा पर है लाकरोइक्स

लाकरोइक्स 23 जून से तीन जुलाई के बीच बांग्लादेश, नेपाल, भारत और पाकिस्तान की यात्रा पर हैं। भारत के 6,712 कर्मी करीब नौ शांतिरक्षक अभियानों में तैनात हैं। इस साल संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय शांतिरक्षक दिवस के समारोह में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारत सरकार के मजबूत समर्थन की सराहना की थी।

चीन दिखा रहा है तेल सम्पन्न सूडान जैसे देश में रूचि

लाकरोइक्स से पूछा गया कि चीन हाल के दिनों में शांति रक्षक अभियानों खासतौर पर तेल सम्पन्न सूडान जैसे देश में अभियान में हिस्सा लेने में रूचि दिखा रहा है, ऐसे में सैनिकों की तैनाती के विषय को कौन तय करता है। इस पर उन्होंने कहा कि सैनिकों की कहां तैनाती होगी, इस बारे में जरूरत को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र  फैसला करता है। लेकिन इसके साथ ही अभियान में हिस्सा लेने वाले देश की राय महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वह देश ही तय करता है कि सैनिक तैनात करना है या नहीं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सैनिकों एवं पुलिसकर्मियों की उपलब्धता एवं तैनाती के विषय पर प्रणाली को बेहतर बनाया गया है। ‘‘शांति अभियान तैयारी प्रणाली’’ तैयार की गई है जहां देश के आधार पर यूनिट या बटालियन को रजिस्टर्ड किया जाता है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement