Wednesday, April 24, 2024
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बड़े नोट पर पाबंदी वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

सर्वोच्च न्यायालय दो दिसंबर को उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें 500, 1,000 तथा 2,000 रुपये के नोट पर पूरी तरह पाबंदी लगाने की मांग की गई है।

IANS IANS
Published on: November 29, 2016 23:33 IST
Supreme court- India TV Hindi
Image Source : PTI Supreme court

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय दो दिसंबर को उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें 500, 1,000 तथा 2,000 रुपये के नोट पर पूरी तरह पाबंदी लगाने की मांग की गई है। इन बड़े नोटों पर पाबंदी के लिए तर्क दिया गया है कि इससे काले धन तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। 

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प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस.ठाकुर, न्यायमूर्ति डी.वाई.चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति एल.नागेश्वर राव की पीठ ने उस जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जता दी है, जिसमें बड़े नोटों पर पाबंदी लगाने की मांग की गई। याचिका में काले धन को लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए देश के विकास के लिए बड़े नोटों को बंद करने की मांग की गई है।

जनहित याचिका अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है, जिन्होंने कहा है कि यह आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) लोगों, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन-यापन करने वालों तथा सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

याचिका के मुताबिक, भारत की 78 फीसदी से अधिक आबादी रोजाना 50 रुपये से कम की खपत करती है और उन्हें 100 रुपये से ऊपर के नोट की जरूरत नहीं है।याचिका में कहा गया है, "5,000 रुपये तक के नकद लेनदेन को प्रतिबंधित करने की मांग करते हुए तर्क दिया गया है कि बड़े नोटों को वापस लेने से भारी तादाद में बैंकिंग से दूर लोग बैंकिंग के प्रति आकर्षित होंगे।"

याचिकाकर्ता ने कहा, "इससे अर्थव्यवस्था असंगठित से संगठित होगी, जो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अनुरूप है, जो अगले साल से लागू होने वाला है।"याचिका में आयकर सहित सभी 56 करों को खत्म करने तथा क्रेडिट रकम पर एक फीसदी की दर से बैंकिंग ट्रांजैक्शन टैक्स (बीटीटी) लगाने की मांग की गई है। 

याचिका के अनुसार, "5,000 रुपये से ऊपर का लेनदेन बैंकिंग प्रणाली जैसे चेक, डिमांड ड्राफ्ट, ऑनलाइन तथा इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के माध्यम से होना चाहिए और 5,000 रुपये के नकद लेनदेन पर कोई कर नहीं होना चाहिए।"

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