Saturday, April 20, 2024
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मॉब लिन्चिंग पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, कहा-संसद भीड़ की हिंसा रोकने के लिए कानून बनाए

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता इंदिरा जयसिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि मॉब लिन्चिंग की घटनाओं को हर हाल में रोका जाए। सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पी. एस. नरसिंहा ने कहा था कि केंद्र सरकार इसे लेकर सजग और सतर्क है

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 17, 2018 13:38 IST
गोरक्षा के नाम पर मॉब लिन्चिंग पर सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता फैसला- India TV Hindi
गोरक्षा के नाम पर मॉब लिन्चिंग पर सुप्रीम कोर्ट आज सुना सकता फैसला

नई दिल्ली: गोरक्षा के नाम पर मॉब लिचिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद भीड़ की हिंसा रोकने के लिए कानून बनाए। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, "कानून-व्यवस्था, समाज की बहुलवादी सामाजिक संरचना और कानून के शासन को बनाए रखना राज्य का कर्तव्य है।" मुख्य न्यायाधीश मिश्रा ने फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि कोई भी कानून अपने हाथों में नहीं ले सकता है या खुद के लिए कानून नहीं बना सकता है। अपराध से निपटने के लिए निवारक, उपचारात्मक और दंडनीय कदमों सहित कई दिशानिर्देश जारी करते हुए अदालत ने कहा कि भीड़तंत्र की अनुमति नहीं दी जाएगी। केंद्र को अपने निर्देशों पर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए अदालत ने इस मामले को 20 अगस्त तक स्थगित कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन जुलाई को इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस दिन कहा था कि ये कानून का मामला है और इस पर रोक लगाना हर राज्य की जिम्मेदारी है। अदालत ने कहा था कि ये एक अपराध है, जिसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए। कोर्ट को यह मंजूर नहीं कि देश में कोई भी कानून को अपने हाथ में ले। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता इंदिरा जयसिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि मॉब लिन्चिंग की घटनाओं को हर हाल में रोका जाए। सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पी. एस. नरसिंहा ने कहा था कि केंद्र सरकार इसे लेकर सजग और सतर्क है, लेकिन बड़ी समस्या कानून व्यवस्था की है। कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकारों की पहली जिम्मेदारी है। केंद्र तब तक इसमें दखल नहीं दे सकता जब तक राज्य खुद इसके लिए गुहार न लगाए।

गोरक्षा के नाम पर हिंसा की वारदात

-2017 में गोरक्षा के नाम पर हिंसा के 26 केस दर्ज हुए
-8 साल में भीड़ की सबसे ज्यादा हिंसा 2017 में दर्ज
-पिछले 8 साल में गोरक्षा से जुड़ी हिंसा के 70 मामले
-गोरक्षा के नाम पर हिंसा में 28 लोगों की हत्या, 136 जख्मी
-इंडियास्पेंड डेटाबेस के मुताबिक 54% हमले अफवाह के कारण
-सर्वे के मुताबिक, 5% मामलों में केस दर्ज नहीं होता

सुप्रीम कोर्ट ने गोरक्षा करने वालों पर बैन की याचिका पर 6 राज्यों को नोटिस जारी किया था और कहा था कि ऐसी घटनाओं के मामले में रिपोर्ट पेश करें। ये नोटिस यूपी, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड और कर्नाटक को जारी किया गया था।

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