Thursday, April 25, 2024
Advertisement

NASA के पार्कर सोलर प्रोब की जमीन भारतीय मूल के सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने तैयार की थी

NASA से सूर्य का बिल्कुल करीब से अध्ययन करने के लिए पार्कर सोलर प्रोब को रविवार को लॉन्च कर दिया।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: August 12, 2018 19:38 IST
Subrahmanyan Chandrasekhar is the man behind Nasa's mission to touch the Sun | AP- India TV Hindi
Subrahmanyan Chandrasekhar is the man behind Nasa's mission to touch the Sun | AP

नई दिल्ली: NASA से सूर्य का बिल्कुल करीब से अध्ययन करने के लिए पार्कर सोलर प्रोब को रविवार को लॉन्च कर दिया। 60 साल पहले अगर भारतीय-अमेरिकी खगोल भौतिकशास्त्री सुब्रमण्यम चंद्रशेखर ने ‘सौर पवन’ के अस्तित्व के प्रस्ताव वाले शोधपत्र का प्रकाशन अपने जर्नल में करने का साहस न दिखाया होता तो सूर्य को ‘स्पर्श’ करने के पहले मिशन की मौजूदा शक्ल शायद कुछ और ही होती। ‘सौर पवन’ सूर्य से बाहर वेग से आने वाले आवेशित कणों या प्लाज़्मा की बौछार को नाम दिया गया है। ये कण अंतरिक्ष में चारों दिशाओं में फैलते जाते हैं। इन कणों में मुख्यतः प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन (संयुक्त रूप से प्लाज़्मा) से बने होते हैं जिनकी ऊर्जा लगभग एक किलो इलेक्ट्रॉन वोल्ट (के.ई.वी) हो सकती है।

अमेरिका से रविवार को सूर्य के लिए रवाना हुए नासा के पार्कर सोलर प्रोब का उद्देश्य डॉक्टर यूजीन न्यूमैन पार्कर के शोध पत्र में प्रस्तावित ‘सौर वायु’ का अध्ययन करेगी। पार्कर अब पहले जीवित वैज्ञानिक बन गए हैं जिनके नाम पर मिशन है। नासा का पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के काफी करीब जाएगा और सूर्य की सतह के ऊपर के क्षेत्र (कोरोना) का अध्ययन करेगा। इससे पहले कोई अन्य प्रोब सूर्य के इतना करीब नहीं गया है। दरअसल, 1958 में 31 वर्षीय पार्कर ने सुझाव दिया था कि सूर्य से लगातार निकलने वाले आवेशित कण अंतरिक्ष में भरते रहते हैं। उनके इस सुझाव को मानने से तत्कालीन वैज्ञानिक समुदाय ने इनकार कर दिया था। उस समय यह मान्यता थी कि अंतरिक्ष में पूर्ण निर्वात था।

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं शोध संस्थान (IISER) कोलकाता के असोसिएट प्रोफेसर दिब्येंदु नंदी ने बताया, ‘जब उन्होंने अपने सिद्धांत का विवरण देते हुए एस्ट्रोफिजिकल जर्नल के लिये अपना पत्र दिया तो दो अलग-अलग समीक्षकों ने इसे खारिज कर दिया। इन समीक्षकों से इस पर राय मांगी गई थी। एस्ट्रोफिजिकल जर्नल के वरिष्ठ संपादक ने हस्तक्षेप करते हुए समीक्षकों की राय को खारिज कर दिया इस शोध पत्र के प्रकाशन की मंजूरी दे दी। वह संपादक भारतीय-अमेरिकी खगोल भौतिकशास्त्री सुब्रमण्यम चंद्रशेखर थे।’

नंदी ने कहा कि चंद्रा का नाम नासा के अंतरिक्ष मिशन चंद्र एक्स-रे वेधशाला से जुड़ा हुआ है। चंद्रशेखर को चंद्रा के नाम से जाना जाता था। उन्हें 1983 में विलियम ए फाउलर के साथ तारों की संरचना और उनके उद्भव के अध्ययन के लिये भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement