Thursday, March 28, 2024
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जज विवाद सुलझने के आसार, चीफ जस्टिस नाराज जजों से आज कर सकते हैं मुलाकात

सुप्रीम कोर्ट के चार शीर्ष जजों की ओर से सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाने से उपजे संकट के बीच चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा बगावती तेवर अपनाने वाले जजों से आज मुलाकात कर सकते हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 14, 2018 7:43 IST
Deepak Mishra- India TV Hindi
Deepak Mishra

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चार शीर्ष जजों की ओर से सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जाने से उपजे संकट के बीच चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा बगावती तेवर अपनाने वाले जजों से आज मुलाकात कर सकते हैं। इनमें से दो जजों ने शनिवार को मुद्दा सुलझाने की ओर इशारा भी किया है। बागी तेवर अपनाए चार में से तीन जज राष्ट्रीय राजधानी से बाहर हैं और आज दोपहर तक उनके यहां वापस आने की संभावना है। 

इस रिपोर्ट की हालांकि कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि जस्टिस मिश्रा सवाल उठाने वाले चारों जजों से मुलाकात करेंगे। लेकिन जस्टिस कुरियन जोसेफ, रंजन गोगोई और अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल से मिल रहे संकेतों से इस विवाद पर सुलह के आसार नजर आ रहे हैं। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कोच्चि में कहा कि शीर्ष न्यायालय में कोई भी संवैधानिक संकट नहीं है और जो मुद्दे उन लोगों ने उठाए हैं, उनके सुलझने की पूरी संभावना है।

जस्टिस जोसेफ ने कहा, "हमने एक उद्देश्य को लेकर ऐसा किया था और मेरे विचार से यह मुद्दा सुलझता दिख रहा है। यह किसी के खिलाफ नहीं था और न ही इसमें हमारा कुछ निजी स्वार्थ था। यह सुप्रीम कोर्ट में ज्यादा पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से किया गया था।" उन्होंने हालांकि इस बारे में विस्तार से नहीं बताया। जस्टिस जोसेफ ने यहां पत्रकारों से कहा, "किसी भी प्रकार का संवैधानिक संकट नहीं है और केवल प्रकिया में समस्या है, जिसे सही कर लिया जाएगा।"

उन्होंने कहा कि चार जजों ने शुक्रवार को जारी पत्र में सबकुछ लिख दिया था और इस पत्र को उन्होंने एक माह पहले ही जस्टिस मिश्रा को भेज दिया था।

यह पूछे जाने पर कि क्या आपको लगता है कि जजों को अपनी शिकायतें इस तरह सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए थीं, उन्होंने कहा, "जो समस्या है, कोई भी दोनों पक्षों को देख सकता है। हमें जो भी कहना था हमने पत्र में लिख दिया था। एक माह गुजरने के बाद भी उस पत्र का कोई असर होता दिखाई न देने पर हमने पत्र को सार्वजनिक किया।" इस मुद्दे से राष्ट्रपति को अवगत नहीं कराए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति केवल नियुक्ति अधिकारी (अप्वॉइंटिंग अथॉरिटी) हैं।"

देश के महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने हालांकि उम्मीद जाहिर की कि सर्वोच्च न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों के विद्रोह से सर्वोच्च न्यायालय में उत्पन्न संकट शीघ्र ही 'सुलझ' जाएगा। उन्होंने पत्रकारों से कहा, "उम्मीद करते हैं कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। मुझे भरोसा है कि सबकुछ सुलझ जाएगा।" वेणुगोपाल ने शुक्रवार को कहा था कि चारों शीर्ष न्यायाधीश प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से शिकायत करने को टाल सकते थे। उन्होंने कहा कि ये न्यायाधीश बहुत प्रतिष्ठित लोग हैं और उम्मीद जताई कि वे लोग अपने मतभेद आपस में सुलझा लेंगे।

बार कौंसिल ऑफ इंडिया की शनिवार को यहां बैठक हुई और सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सात सदस्यीय एक प्रतिनिधमंडल रविवार को मुद्दा सुलझाने के दृष्टिकोण से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से मुलाकात करने की कोशिश करेगा। इसबीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को शनिवार सुबह प्रधान न्यायाधीश के आवास की ओर जाते देखा गया। उन्हें उनके आधिकारिक वाहन के अंदर तब बैठे देखा गया, जब वह प्रधान न्यायाधीश के आवास के अंदर गए बिना ही वापस आ रहे थे।

कांग्रेस ने इस पर मोदी से पूछा है कि उन्होंने क्यों अपने सहयोगी को न्यायमूर्ति मिश्रा के घर भेजा? कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिह सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, "प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव के तौर पर नृपेंद्र मिश्रा न्यायमूर्ति मिश्रा के आवास 5, कृष्णन मेनन मार्ग गए थे। प्रधानमंत्री को निश्चित ही इसका जवाब देना चाहिए कि उन्होंने क्यों अपना विशेष दूत भेजा था।"

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