Tuesday, April 16, 2024
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आतंकवादियों पर प्रहार के साथ ही पाक से बातचीत भी जरूरी: मेनन

मेनन ने कहा कि दोनों देशों के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत के अलावा कोई और विकल्प नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान से बात नहीं करने से आतंकवादियों का मनोबल बढ़ेगा और इससे आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों का एजेंडा पूरा हो जाएगा।

India TV News Desk India TV News Desk
Updated on: November 29, 2016 13:38 IST
shiv shankar menon- India TV Hindi
shiv shankar menon

नई दिल्ली: पाकिस्तान और उसके आतंकवाद के बारें में कोई न कोई अपने बयान देते रहते है। कोई भी नेता या आम नागरिक नहीं चाहता है कि पाकिस्तान से कोई संबंध या फिर कोई बात की जाएं। इसी बीच  देश के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने पाकिस्तान के खिलाफ बयान दिया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत के अलावा कोई और विकल्प नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान से बात नहीं करने से आतंकवादियों का मनोबल बढ़ेगा और इससे आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों का एजेंडा पूरा हो जाएगा।

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मेनन ने अपनी पुस्तक 'चॉइसेज- इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडियाज फॉरेन पॉलिसी' के औपचारिक विमोचन से पहले आईएएनएस से कहा, "यदि आप बात नहीं करेंगे तो आप ऐसा नहीं कर आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों को वह अवसर उपलब्ध करा रहे हैं, जो वे चाहते हैं, क्योंकि वे बातचीत नहीं चाहते। वे चर्चा को नियंत्रित करना चाहते हैं। वे संबंधों में रोक चाहते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि आप उन्हें ऐसा कैसे करने दे रहे हैं।"

मेनन पाकिस्तान में भारत के विदेश सचिव और बीजिंग में राजदूत भी रह चुके हैं।

उन्होंने कहा, "बातचीत करने का यह मतलब नहीं है कि आप आतंकवादियों से निपटने के लिए अन्य जरूरी चीजें नहीं कर सकते। आपको आतंकवादियों का खात्मा करना पड़ेगा, जैसा कि किसी देश को करना चाहिए।"

उन्होंने आगे कहा, "लेकिन इसका यह मतलब भी नहीं है कि आप बातचीत बंद कर दें। यदि आपके पास अवसर है तो बात कीजिए और उस समय आपके पास कहने को बहुत कुछ होगा। आप संघर्षविराम बहाल करना नहीं चाहते। आप सीमापार आतंकवाद की वजह से संबंधों में गतिरोध नहीं चाहते और पाकिस्तान और पाकिस्तानी तत्वों के सहयोग से फसाद नहीं चाहते।"

मेनन ने कहा, "हमें इस मुद्दे को उठाने और इसके बारे में बात करने की जरूरत है।"

वह पाकिस्तान के विदेश नीति सलाहकार सरताज अजीज के अगले महीने अमृतसर आने की रपटों के संबंध में बात कर रहे थे। सरताज अगले महीने की शुरुआत में अफगानिस्तान पर बहुराष्ट्रीय 'हार्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन में हिस्सा लेने अमृतसर आ रहे हैं। इस संदर्भ में यह सवाल उठाने पर कि क्या उड़ी हमले और भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा पीओके में सर्जिकल कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बात क्यों नहीं होनी चाहिए?

मेनन ने कहा कि सैन्यबल के इस्तेमाल या भारत द्वारा सीमा पार आतंकवादी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की सीमित उपयोगिता थी।

उन्होंने कहा, "इससे सीमापार आतंकवाद और इंटर सर्विसिस इंटेलिजेंस (आईएसआई) और जिहादी तंजीमों को प्रायोजित करने वाली पाकिस्तानी सेना का दिमाग बदलने वाला नहीं है और न ही इससे आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे नष्ट होने वाले हैं। कुछ बदलने वाला नहीं है।"

उन्होंने कहा कि शहादत देने के लिए तैयार रहने वाले तंजीम मरने से नहीं डरते।

मेनन ने कहा कि 'गुप्त सीमापार गतिविधियां' पिछली सरकारों के कार्यकाल में भी होती आई हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने इन्हें जनता में उजागर नहीं करने का फैसला किया, क्योंकि ये हमले जनता की राय को प्रभावित करने से कहीं अधिक नतीजों पर केंद्रित थे।

उन्होंने कहा, "यदि आपका उद्देश्य देश में ही जनता की राय को प्रभावित करता है तो आपको इसके परिणामों से निपटना होगा। इससे आमतौर पर लोगों की उम्मीदें भी बढ़ जाती हैं और फिर बढ़ी हुई उम्मीदों को नियंत्रित करना चुनौती बन जाता है।"

मेनन ने कहा, "जिस क्षण आप जनता के बीच जाओगे तो ये अनुमानित नतीजे नहीं आएंगे, क्योंकि तब दोनों पक्ष इसमें शामिल होंगे। दोनों पक्षों को यह देखना होगा कि वे डरे हुए नहीं हैं।'

मनमोहन सिंह इन गुप्त गतिविधियों पर एक कारण से ही चुप रहे और वह कारण (उन्हें प्रचारित नहीं करना) अभी भी वैध है।

मेनन ने कहा कि पाकिस्तान से निपटने की दुविधा यह थी कि कोई एक पाकिस्तान नहीं था, क्योंकि वहां पाकिस्तानी समाज के बड़े हिस्से थे, जो भारत के लिए हानिकारक थे।

मेनन ने अपनी पुस्तक में कहा कि भारतीय नीति निर्माताओं को कई पाकिस्तान, नागरिक समाज, पाकिस्तानी कारोबारी समुदाय, नेताओं, सेना, आईएसआई, धार्मिक अधिकारों से निपटना चाहिए।

उन्होंने कहा, "इन सभी पाकिस्तानियों का भारत के प्रति समान व्यवहार नहीं है और प्रत्येक ही भारत और भारतीयों के प्रति विभिन्न तरीके से प्रतिक्रियाएं देते हैं।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की अप्रासंगिकता घटी है। भारत, पाकिस्तान मुद्दों से निपटने के लिए भारत के उद्देश्यों में कमी आई है। त्रासदी यह है कि भारतीय संदर्भ में पाकिस्तान एकल मुद्दे वाला देश बन रहा है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अब पहले की तुलना में चीन के बहुत करीब आ गया है। भारत, पाकिस्तान संबंध छाप छोड़ेंगे और उन्हें संभावित रूप से इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

मेनन की इस पुस्तक का विमोचन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करेंगे। इस पुस्तक में भारत सरकार के नेताओं के समक्ष विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुश्किल फैसलों से निपटने और मौजूदा परिस्थितियों से निपटने के लिए उनकी पसंद का जिक्र है।

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