Thursday, April 25, 2024
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केरल: निपाह वायरस के मरीज का इलाज करते करते नर्स खुद हो गई मौत का शिकार, पति के नाम लिखा भावुक खत

जहां एक तरफ इस वायरस के चलते लोगों में दहशत का माहौल है तो वहीं इस वायरस के चपेट में आए लोगों के इलाज करते करते अपने प्राणों का आहुती देने वाली नर्स लिनी पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गई हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: May 22, 2018 16:16 IST
31 साल...- India TV Hindi
31 साल की नर्स लिनी इस वायरस से पीड़ित लोगों का इलाज करते-करते स्वयं इस वायरस की चपेट में आ गई। (pic source- social media)

कोझीकोड: केरल में निपाह वायरस के चलते अबतक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। जहां एक तरफ इस वायरस के चलते लोगों में दहशत का माहौल है तो वहीं इस वायरस के चपेट में आए लोगों के इलाज करते करते अपने प्राणों का आहुती देने वाली नर्स लिनी पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गई हैं। मरीज के लिए जिस सेवा भाव से उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है उससे पूरा देश उनकी मौत पर दुखी है। केरल के पेरांबरा तालुक अस्पताल में काम करने वाली 31 साल की नर्स लिनी इस वायरस से पीड़ित लोगों का इलाज करते-करते स्वयं इस वायरस की चपेट में आ गई।

जब उन्हें इस बात का अंदाजा हो गया कि उनका जीवन शेष नहीं बचेगा तो उन्होंने पति के नाम एक पत्र भी लिखा जिसमें उन्होंने अपने बच्चों को साथ ले जाकर अच्छी परवरिश करने की बात की है। लिनी ने मरते दम तक अपने मासूम बच्चों समेत अपने पूरे परिवार को खुद से दूर रखा ताकि वह भी इस वायरस के संपर्क में न आ जाएं। लिनी के दोनों बच्चों सिद्धार्थ (5) और रितुल (2) अपनी मां को आखिरी बार देख भी नहीं सके। उनके पति सजीश लिनी की बीमारी के बारे में सुनकर दो दिन पहले ही खाड़ी देश से वापस आए थे, वह वहीं नौकरी करते हैं। लिनी के परिवार ने शव को घर लाने के बजाय स्वास्थ्य विभाग को विद्युत श्मशान से ही दाह संस्कार करने की इजाजत दी थी ताकि ये वायरस और ना फैलने पाए।

लिनी निपाह वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करने के दौरान ही बीमार पड़ गई थीं और आखिर में उनकी मौत हो गई थी। केरल के पर्यटन मंत्री ने लिनी के प्रति संवेदना जाहिर करते हुए फेसबुक पर उनका खत शेयर किया है जो वायरल हो रहा है। इस पत्र में लिनी ने अपने पति के लिए लिखा था, 'मुझे नहीं लगता कि अब मैं तुमसे मिल पाऊंगी। प्लीज हमारे बच्चों की देखभाल करना। उन्हें अपने साथ गल्फ (खाड़ी देश) ले जाओ, और हमारे पिता की तरह बिल्कुल अकेले मत रहना।' 

क्या है पूरा मामला

केरल के कोझीकोड जिले में अब तक निपाह वाइरस से 10 लोगों की मौत हो गई है जबकि आठ अन्य लोगों को निगरानी में रखा गया है। इसके बाद मामले की जांच के लिये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित चिकित्सकों का उच्च स्तरीय दल वहां पहुंच गया है। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने बताया है कि पिछले एक पखवाड़े में जिन तीन लोगों की मौत हुई है, वे एक ही परिवार के हैं। इनमें से दो भाई थे और उनकी आयु 20 साल से अधिक थी। जिस व्यक्ति का इलाज चल रहा है वह वाइरस से मरने वाले दोनों भाइयों के पिता हैं। निपाह वाइरस पशुओं से मनुष्य में फैलता है। इससे पशु और मनुष्य दोनों गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं। इस विषाणु के स्वाभाविक वाहक फ्रूट बैट (चमगादड़) हैं। मंत्री ने बताया कि एक चमगादड़ मृतकों के घर के कुएं में पाया गया था। उसे अब बंद कर दिया गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निपाह वाइरस से मनुष्य में कई बिना लक्षण वाले संक्रमण से लेकर एक्यूट रेस्पीरेटरी सिंड्रोम और प्राणघातक इन्सैफेलाइटिस तक हो सकता है। डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट के अनुसार एनआईवी (निपाह वाइरस) से सुअरों और अन्य घरेलू जानवरों में भी बीमारी हो सकती है। अभी न तो मनुष्य और न ही पशुओं के उपचार के लिये इसका टीका विकसित हुआ है। मनुष्य के मामलों में इसका प्राथमिक उपचार इंटेंसिव सपोर्टिव केयर (सघन सहायक देखभाल) के जरिये किया जा सकता है। निपाह वाइरस (एनआईवी) की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कामपुंग सुंगई निपाह में बीमारी के फैलने के दौरान हुई थी। उस समय सूअर इसके वाहक थे। हालांकि, बाद में एनआईवी के प्रसार में बीच का कोई वाहक नहीं था। बांग्लादेश में 2004 में इस विषाणु का मनुष्य में संक्रमण हुआ था। यह विषाणु संक्रमित चमगादड़ से दूषित, खजूर का रस पीने से फैला था। 

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