Tuesday, April 16, 2024
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Monsoon Updates: अमरनाथ से असम तक कुदरत का कोहराम, मौसम से त्राहिमाम

पिथौरागढ़ में तबाही का आलम ये है कि उत्तराखंड सरकार में वित्त मंत्री और पिथौरागढ़ से विधायक प्रकाश पंत ने प्रभावित इलाक़ों का हवाई सर्वे किया लेकिन चिंता की बात ये कि ऐसे मंज़र लोगों के दिलों में और दहशत पैदा कर रहे हैं। लगातार बारिश के चलते उत्तराखंड में हालात भयानक हो चुके हैं।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 05, 2018 9:55 IST
Monsoon Updates: अमरनाथ से असम तक कुदरत का कोहराम, मौसम से त्राहिमाम- India TV Hindi
Monsoon Updates: अमरनाथ से असम तक कुदरत का कोहराम, मौसम से त्राहिमाम

नई दिल्ली: आसमान से बारिश आफत बनकर बरस रही है और इसकी चपेट में पहाड़ और मैदान दोनों ही आ गए हैं। पहाड़ों में जहां बारिश के चलते लैंड स्लाइड हो रहा है तो वहीं मैदानी इलाक़ों में सैलाब से लोग दहशत में हैं। खतरा इतना ज़्यादा है कि कब कौन सी चट्टान मौत बनकर आ गिरे कहना मुश्किल है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 2 दिन पहले बादल फटने से भारी तबाही हुई थी। कई गांवों का संपर्क टूट गया। बुधवार को रस्सी के सहारे कुछ लोगों का रेस्क्यू चल रहा था तभी चंद मीटर की दूरी पर लैंडस्लाइड हुआ और पहाड़ दरकने लगे। आसपास लोग मौजूद थे जो चट्टान खिसकते ही जानकर बचाकर भागने लगे। बस गनीमत रही कि कोई इसकी चपेट में नहीं आया।

पिथौरागढ़ में तबाही का आलम ये है कि उत्तराखंड सरकार में वित्त मंत्री और पिथौरागढ़ से विधायक प्रकाश पंत ने प्रभावित इलाक़ों का हवाई सर्वे किया लेकिन चिंता की बात ये कि ऐसे मंज़र लोगों के दिलों में और दहशत पैदा कर रहे हैं। लगातार बारिश के चलते उत्तराखंड में हालात भयानक हो चुके हैं। पिथौरागढ़ में काली और गोरी नदी उफान मार रही हैं। टनकपुर में शारदा नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान के पास है। नतीजा ये है कि निचले इलाकों में खतरे के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि किसी भी वक़्त ये नदियां तबाही मचा सकती हैं।

वहीं मसूरी में महज़ 3 सेकेंड के अंदर 30 फीट ऊंची दीवार ताश के पत्तों की तरह ढह गई। दीवार के मलबे की चपेट में एक कार भी आ गई। जिस बिल्डिंग की दीवार गिरी वो बिल्डिंग ऑडिनेंस फैक्‍ट्री का गेस्‍टहाउस है। इसी गेस्ट हाउस के नीचे पहाड़ी को रोकने के लिए दीवार बनी थी लेकिन बारिश के चलते ये चटखने लगी। दीवार के नीचे की तरफ जहां कार खड़ी थी वहां कुछ टूरिस्ट भी थे लेकिन गनीमत रही कि दीवार गिरने का आभास होते ही वो मौके से हट गए और इसके फौरन बाद जोरदार आवाज़ के साथ दीवार गिर गई।

यहां भारी बारिश का असर ये हुआ है कि नैनीताल को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे 109 में कई जगह भूस्खलन हो गया। जगह-जगह जमीन खिसकने से मलबा सड़कों पर आ गया और रास्ते बंद हो गए जिन्हें खोलने के लिए जेसीबी मशीनों को लगाया गया। तबाही सिर्फ़ उत्तराखंड में ही नहीं हुई है बल्कि आसमान से बारिश बनकर बरस रही आफत ने कई राज्यों और तमाम शहरों में तबाही मचाई है। भारी बारिश ने हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर की शक्ल बदल कर रख दी है। शिमला में दो-तीन दिनों से हो रही भारी बारिश ने पिछले तेरह सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। भारी बारिश के बाद कई जगह पहाड़ टूटकर भी गिर गये। गाड़ियां चट्टानों के मलबे में फंस गई। कई जगह पेड़ गिरने से भी कई गाड़ियों को नुकसान पहुंचा। चिंता की बात ये है कि हिमाचल में आफत की ये बारिश यूं ही जारी रहेगी क्योंकि मौसम विभाग ने प्रदेश के 6 जिलों के लिए अलर्ट जारी किया है। शिमला, सोलन, सिरमौर, मंडी, कुल्लू और चंबा के कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।

वहीं जम्मू कश्मीर के सिर से भी संकट अभी टला नहीं है। पिछले 3 दिनों की बारिश से कई नदियां अभी भी उफान मार रही हैं। मौसम विभाग के मुताबिक़ पुंछ और राजौरी में आने वाले दिनों में और बारिश हो सकती है इसीलिए लोगों को अलर्ट रहने को कहा गया है। मैदानी इलाक़ों में भी बारिश के चलते नदियां उफान पर हैं और कई शहरों पर बाढ़ का संकट मंडराने लगा है। पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी के बनरहट में इतनी बारिश हुई कि चंद घंटों में ही बाढ़ जैसे हालात बन गए। सड़कों का नामोनिशान मिट गया। असली मुश्किल तब हुई जब ये पानी सड़कों से होता हुआ घरों तक जा पहुंचा। लोगों में इस बात को लेकर नाराज़गी है कि हालात बद से बदतर होने के बाद भी कोई मदद नहीं मिल रही है।

पिछले कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश से असम के कोकराझार ओर चिरांग जिले के कई गांव भी पानी पानी हो गए हैं। इन्हीं हालात के बीच लोग ज़िंदगी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं और सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। इस बारिश के चलते बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है और सैंकड़ों लोग इसकी ज़द में आ गए हैं। असम के गुवाहाटी में भी पिछले कई दिनों से हो रही बारिश के चलते ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि गनीमत ये है कि अब तक इसने खतरे के निशान को पार नहीं किया है लेकिन जैसे जैसे नदी का पानी बढ़ रहा है लोगों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है क्योंकि बाढ़ कभी भी यहां तबाही मचा सकती है।

ज़ाहिर है मॉनसून की बारिश कुछ लोगों को गर्मी से राहत तो दे रही हैं लेकिन हिंदुस्तान के कई राज्यों के लिए ये अलग अलग शक्ल में लोगों के लिए मुसीबत भी बन गई है। पहाड़ों में चट्टानें खिसक रही हैं तो मैदानी इलाक़ों में बाढ़ का ख़तरा बढ़ गया है। और चिंता की बात ये है कि ऐसे हालात से जल्द राहत मिलने की उम्मीद भी कम ही है।

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