क्या आप सोच सकते हैं कि कोई आराम की ज़िंदगी को छोड़कर, सहर की सुविधाओं को ताक पर रखकर गांव की राह ले लेगा और वो भी लोगों की भलाई के लिये? जी हां, ऐसे भी लोग हमारे देश में बसते हैं। छवि रजावत के एमबीए डिग्री है, वो टाइम्स ऑफ़ इंडिया, कार्लसन ग्रुप्स ऑफ़ होटेल्स और एयरटेल में काम कर चुकी हैं।
लेकिन एक दिन अचानक छवि को एहसास हुआ कि इस देश को ज़मीनी स्तर पर बदलाव की ज़रुरत है और बस वह निकल पड़ी नौकरी चाकरी छोड़कर अपने गांव सोदा जो राजस्थान के टोंक ज़िले में पड़ता है।
सोदा पहुंचकर छवि गांव की सरपंच बन गईं और इस तरह वह सरपंच बनने वाली भारत सबसे कम उम्र की महिला हो गईं जिनके पास MBA की डिग्री भी है। छवि अपने गांव में बेहतर पेयजल, सोलर पॉवर, सड़के और शौचालय बनवाने और बैंक खुलवाने के लिये लगातार कोशिश कर रही हैं।
छवि ने बाक़ायदा सरपंच का चुनाव जीता है लेकिन वह किसी भी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ी हुई हैं। छवि गांव में पानी की नियमित सप्लाई मुहैया करवाने में कामयाब हो चुकी हैं और 40 से ज़्यादा सड़कों पर काम भी शुरु करवा दिया है।
उनका कहना है, “अगर भारत पिछले 65 साल से जिस रफ़्तार से प्रगति कर रहा है वैसी ही करता रहा तो उससे कुछ नहीं होगा। हम न लोगों के सपनों को साकार नहीं कर सकते जो पानी, बिजली, शौचालय, स्कूल और रोज़गार की आस लगाये बैठे हैं। मुझे पक्का भरोसा है कि ये काम हम अलग तरीके से कहीं ज़्यादा तेज़ रफ़्तार से कर सकते हैं।”
छवि ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत अपने गांव में शौचालय बनवाए थे। उन्होंने बताया कि उनके गांव के 900 घरों में से 800 घरों में शौचालय हैं। सोफ़्ट ड्रिंक्स बनाने वाली एक कंपनी ने गांव के एकमात्र तालाब को साफ करने के लिये 20 लाख रुपय ख़र्च किये हैं जिससे लोगों को पीने का साफ पानी मिलने लगा।”