एक तरफ पाकिस्तान में जनरल कमर जावेद बाजवा पाक आर्मी चीफ का पदभार संभाल रहे थे दूसरी तरफ भारत में आतंकी हमला हो रहा था। पाक आर्मी चीफ बाजवा LoC पर तनाव में सुधार की बात कह रहे थे तो दूसरी तरफ सीमा पार से आए आतंकी हमारे सैन्य ठिकाने और सैनिकों के साथ ही आम लोगों को भी निशाना बना रहे थे। सीमा पर जिस तरह के हालात हैं उसे देखते हुए यह तो साफ है कि पाकिस्तान में आर्मी चीफ चाहे शरीफ हो या बाजवा भारत के साथ रिश्तों में सुधार या एलओसी पर शांति की उम्मीद रखना बेमानी है। यही वजह है पड़ोसी पर पूरा शक और बीते हमलों के सबूतों के बावजूद नगरोटा आतंकी हमला भारत की आतंरिक सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है।
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सवाल यह कि क्या हमने उड़ी आतंकी हमले से कुछ सबक लिया? क्या हमारे सैन्य ठिकाने सुरक्षित हैं? ना युद्ध ना युद्ध जैसे हालात लेकिन बार-बार ये हमला ‘एक्ट ऑफ वॉर’ है, जिसमें हमारे सैनिक लगातार शहीद हो रहे हैं। नदी, बरसाती नाले और जंगल-पहाड़ी वाली छीद्रिल सीमा पर आतंकी घात लगाए बैठे हैं। जैसे-जैसे ठंड और कोहरा बढ़ता जाएगा घुसपैठ की संख्या में और इज़ाफा होंने की संभावना है। उतनी ही आशंका सैन्य ठिकानों और रिहायशी इलाकों की सुरक्षा को लेकर भी।
भारत की नीयत बातचीत को आगे बढ़ाने की थी लेकिन कई मौकों पर ये कोशिश नाकामयाब रही। बीते कुछ महीनों की घटनाओं पर सिलसिलेवार तरीके से गौर करें तो लगता है कि भारत-पाक एक दूसरे को सबक सिखा रहा है। बदला लेने वाली नीयत पर मत अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन इसका हासिल क्या है इस पर सोच ज़्यादा अलग-अलग शायद ही हो!
नगरोटा हमले में सेना के एक मेजर समेत दो अफसर और पांच जवान शहीद हो गए। सांबा ज़िले में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास दूसरे हमले में आतंकियों ने गोला-बारूद डिपो में आग लगा दी,जिसमेँ बीएसएफ के डीआईजी समेत चार जवान ज़ख्मी हो गए। इस ताज़ा हमले में भारत के आधा दर्जन से ज्यादा सपूत मारे गए जिसके बदले छह आतंकी ढेर हुए। इतना ही नहीं पठानकोट हमले में हमारे सात सैनिक शहीद हुए। पम्पोर हमले में आठ। उरी आतंकी हमले में हमारे बेस कैंप को निशाना बनाया गया और उन्नीस जवान मारे गए।
हाल ही में माछिल सेक्टर में LOC के पास सैनिको के शव के साथ बर्बरता हुई । आखिर कब तक हम हमारे सैनिकों को श्रद्धांजलि देते रहेंगें? सर्जिकल स्ट्राइक से बदला तो लिया गया लेकिन क्या इससे वर्तमान या भविष्य सुरक्षित हो गया! वो कदम भी ज़रूरी था, ठीक वैसे ही आज बातचीत की दिशा में यदि आगे बढ़ें तो ठीक होगा।
आगामी दिनों में पाक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत दौरे पर आने वाले हैं। दोनों देशों के लिए यह सवांद को शुरू करने का बेहतरीन अवसर है। मुलाकात का अंजाम क्या होगा यह कहा नहीं जा सकता लेकिन यह तो तय है भारत युद्ध नहीं चाहता। उकसावे की कार्रवाई फिर उसका जवाब दिया जाता रहेगा, लेकिन जब तक हम अपनी सीमा और जवानों की सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं कर लेते तब तक बातचीत से मसले को हल करना ही एकमात्र विकल्प नज़र आता है।
(ब्लॉग लेखिका मीनाक्षी जोशी देश के नंबर वन चैनल इंडिया टीवी में न्यूज एंकर हैं)