Saturday, April 20, 2024
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इस खास मुर्गे को लेकर भिड़ गई हैं मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारें!

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच इस खास मुर्गे को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है...

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: March 18, 2018 16:58 IST
Kadaknath Chicken- India TV Hindi
Kadaknath Chicken

भोपाल: लाजवाब स्वाद के लिए मशहूर कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच विवाद का विषय बनी हुई है। इस प्रजाति के मुर्गे के GI टैग (भौगोलिक संकेतक) को लेकर ये दोनों ही राज्य अपना-अपना दावा पेश कर रहे हैं। इन दोनों पड़ोसी राज्यों ने इस काले पंख वाले मुर्गे की प्रजाति के लिए ‘GI टैग‘ प्राप्त करने के लिए चेन्नई स्थित भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय में आवेदन दिए हैं। मध्य प्रदेश का दावा है कि कड़कनाथ मुर्गे की उत्पत्ति प्रदेश के झाबुआ जिले में हुई है, जबकि छत्तीसगढ़ का कहना है कि कड़कनाथ को प्रदेश के दंतेवाडा जिले में अनोखे तरीके से पाला जाता है और यहां उसका सरंक्षण और प्राकृतिक प्रजनन होता है।

विशेषज्ञों के अनुसार कड़कनाथ के मांस में आयरन एवं प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है, जबकि कॉलेस्ट्राल की मात्रा अन्य प्रजाति के मुर्गों से काफी कम पाई जाती है। इसके अलावा, यह अन्य प्रजातियों के मुर्गों से बहुत ज्यादा दाम में बेचा जाता है। मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग के अतिरिक्त उप संचालक डॉ. भगवान मंघनानी ने बताया, ‘मध्यप्रदेश को कड़कनाथ मुर्गे के लिए संभवत: GI टैग मिल जायेगा। इस प्रजाति का मुख्य स्रोत राज्य का झाबुआ जिला है। इस मुर्गे के खून का रंग भी सामान्यतः काले रंग का होता है, जबकि आम मुर्गे के खून का रंग लाल पाया जाता है। झाबुआ जिले के आदिवासी इस प्रजाति के मुर्गों का प्रजनन करते हैं। झाबुआ के ग्रामीण विकास ट्रस्ट ने इन आदिवासी परिवारों की ओर से वर्ष 2012 में कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति के लिए GI टैग का आवेदन किया है।’

वहीं, छत्तीसगढ़ ने भी हाल ही में कड़कनाथ मुर्गे के GI टैग के लिए दावा किया है। ग्लोबल बिजनेस इनक्यूबेटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष श्रीनिवास गोगिनेनी ने बताया कि कड़कनाथ को छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा जिले में अनोखे तरीके से पाला जाता है और यहां उसका सरंक्षण और प्राकृतिक प्रजनन होता है। इस कंपनी को दंतेवाडा जिला प्रशासन जन-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत इलाके के आदिवासी लोगों की आजीविका सृजित करने में मदद करने के लिए लाया है। गोगिनेनी ने कहा, ‘दंतेवाडा प्रशासन ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की मदद से जिले में कड़कनाथ प्रजाति को अनोखे तरीके से पाले जाने एवं इसका बहुत ज्यादा उत्पादन होने के कारण पिछले महीने GI टैग के लिए आवेदन किया है।’ गोगिनेनी ने बताया कि अकेले दंतेवाड़ा जिले में 160 से अधिक कुक्कुड फॉर्म राज्य सरकार द्वारा समर्थित स्व-सहायता समूहों द्वारा चलाए जा रहे हैं। इनमें सालाना करीब 4 लाख कड़कनाथ मुर्गों का उत्पादन होता है।

वहीं, भगवान मंघनानी ने बताया कि मध्य प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही हैचरीज में सालाना करीब 2.5 लाख कड़कनाथ मुर्गों का उत्पादन किया जाता है। उन्होंने कहा कि कड़कनाथ के एक किलोग्राम के मांस में कॉलेस्ट्राल की मात्रा करीब 184 mg होती है, जबकि अन्य मुर्गों में करीब 214 mg प्रति किलोग्राम होती है। उनका कहना है कि इसी प्रकार कड़कनाथ के मांस में 25 से 27 प्रतिशत प्रोटीन होता है, जबकि अन्य मुर्गों में केवल 16 से 17 प्रतिशत ही प्रोटीन पाया जाता है। इसके अलावा, कड़कनाथ में लगभग एक प्रतिशत चर्बी होती है, जबकि अन्य मुर्गों में 5 से 6 प्रतिशत चर्बी रहती है।

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