Wednesday, April 24, 2024
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कुशीनगर हादसा: ड्राइवर की एक बड़ी भूल से बुझ गए13 मासूम चिराग

साफ सुथरी धुली यूनीफार्म पहनकर, पीठ पर बस्ता और हाथ में पानी की बोतल लेकर अपने घरों से स्कूल के लिए निकले नौनिहाल कुछ ही देर में खून से लथपथ बेजान पड़े थे।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: April 26, 2018 19:16 IST
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कुशीनगर: साफ सुथरी धुली यूनीफार्म पहनकर, पीठ पर बस्ता और हाथ में पानी की बोतल लेकर अपने घरों से स्कूल के लिए निकले नौनिहाल कुछ ही देर में खून से लथपथ बेजान पड़े थे। बच्चों के मां बाप पर तो दुख का पहाड़ टूटा ही, मौके पर पहुंचे हर शख्स की आंख नम थी। छोटी सी रागिनी स्कूल यूनीफार्म में थी, जो उसी के खून से भीगी थी। उसका ठंडा पड चुका शरीर 12 अन्य बच्चों के साथ बेजान पड़ा था और बड़ा दर्दनाक दृश्य उत्पन्न कर रहा था। यह 13 बच्चे स्कूल की बजाय मौत के दरवाजे पर पहुंच गए जब एक पैसेंजर ट्रेन ने बेहपुरवा में बिना फाटक वाली क्रासिंग पर इन बच्चों की स्कूल वैन को टक्कर मारी और मासूमों की जिन्दगी समाप्त। डिवाइन मिशन स्कूल में पढ़ने वाले इन बच्चों के स्कूल बैग, कापी किताबें, पानी की बोतलें ​और टिफिन उनके मृत शरीर के इर्द गिर्द छितराये पडे थे। उनकी सफेद यूनीफार्म उन्हीं के खून से लाल हो चुकी थी। (इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने कहा, संसद सदस्य के रूप में ख्वाजा आसिफ अयोग्य )

सुबह करीब सवा सात बजे का वक्त था। कई लोग तो उठे ही नहीं होंगे, जब यह दिल दहलाने वाली खबर आयी। माता पिता सगे संबंधी पडोसी दोस्त इस उम्मीद में दुर्घटना वाली जगह की ओर दौडे कि शायद उनका अपना किसी तरह बच गया हो लेकिन उन्हें मायूसी मिली। बच्चों को रोजाना स्कूल ले जाने वाली पीली वैन टूटी फूटी दूर पडी थी। वैन के शीशे चकनाचूर थे और लोहे की बाडी टूटे फूटे कबाड सी। ये दृश्य इतना समझने के​ लिए काफी था कि टक्कर कितनी जबर्दस्त रही होगी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि वैन के चालक से वहां मौजूद लोगों ने कहा था कि रूक जाए, ट्रेन आ रही है लेकिन उसने अनसुनी कर दी। चालक खुद गंभीर रूप से घायल है और गोरखपुर मेडिकल कालेज में उसका इलाज हो रहा है। राम मनोहर मजदूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि चालक ने मानवरहित क्रासिंग झटके में पार करने की कोशिश की लेकिन वैन ना जाने कैसे पटरी पर रूक गयी या शायद बंद हो गयी।

उसने कहा, ''उसी समय पटरी पर पैसेंजर ट्रेन आ गयी जो सीवान से गोरखपुर की ओर जा रही थी। ट्रेन वैन को चकनाचूर करते हुए आगे बढ गयी।'' एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी हबीब अंसार ने बताया कि कुछ महिलाओं और राहगीरों ने वैन चालक को रोकने का प्रयास किया लेकिन उसने सुना नहीं। अंसार ने कहा, ''मैंने टक्कर नजदीक से देखी है। बच्चों ने मौके पर ही दम तोड दिया।'' उन्होंने कहा कि वैन चालक की लापरवाही से बच्चों की मौत हुई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि चालक ने क्रासिंग पार करने से पहले जरा सी सावधानी बरती होती तो शायद इतना बडा हादसा ना होता। बताया जा रहा है कि वैन चालक ने ईयर फोन लगा रखा था इसीलिए लोगों की चिल्लाहट वह सुन नहीं पाया और खामियाजा 13 बच्चों की मौत के रूप में सामने आया। ये सभी बच्चे सात से 10 साल के बीच के थे। अमरजीत मिश्रौली के रहने वाले हैं। रागिनी उनकी बेटी है । रागिनी के अलावा उसके दो भाई संतोष एवं रवि भी इस हादसे में मौत के मुंह में चले गये। बतरौली के हसन की दो बेटियां साजिदा और तमन्ना नहीं रहीं। मैहीहरवा के मोइनुददीन का बेटा मिराज और बेटी मुस्कान इस दुनिया में नहीं रहे।

स्थानीय लोग धमाके जैसी आवाज सुनने के बाद दौडे और घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया। बाद में चार घायल बच्चों और वैन चालक को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज इलाज के लिए ले जाया गया। अपुष्ट खबरों के मुताबिक स्कूल मान्यता प्राप्त नहीं है। पुलिस के अनुसार स्कूल के प्रधानाध्यापक के जे खान को हिरासत में ले लिया गया है। मृतकों की पहचान हरि ओम (8), रागिनी (7), अतीउल्लाह(8), अरशद (9), अनस नरोद (8), गोलू (8), कमरूल (10), साजिदा (11), तमन्ना (10), मिराज (8), मुस्कान (7) तथा संतोष और रवि के रूप में की गयी है।

 

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