Saturday, April 20, 2024
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केरल को किसने दिया सदी का सबसे बड़ा दर्द, कुदरत का कहर या इंसानी लालच ने ले डूबा?

कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने केरल की तबाही का सीधा ठीकरा सूबे की सत्ताधारी लेफ्ट सरकार पर फोड़ा है। विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला के मुताबिक़ ये मानव निर्मित आपदा है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 23, 2018 8:38 IST
केरल को किसने दिया सदी का सबसे बड़ा दर्द, कुदरत का कहर या इंसानी लालच ने ले डूबा?- India TV Hindi
केरल को किसने दिया सदी का सबसे बड़ा दर्द, कुदरत का कहर या इंसानी लालच ने ले डूबा?

नई दिल्ली: क्या केरल में जो तबाही हुई उसे रोका जा सकता था? क्या जितना जान और माल का नुकसान हुआ उसे बचाया जा सकता था? ये सवाल इसलिए क्योंकि केरल में आफत थमने के बाद अब सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस समेत कई दलों ने केरल सरकार पर राज्य में तबाही का ठीकरा फोड़ा है। आरोप है कि अगर केरल सरकार वक़्त रहते और पूरी तैयारी के साथ कदम उठाती तो आज केरल सदी की सबसे बड़ी त्रासदी का शिकार ना होता। सदी की सबसे बड़ी तबाही में क़रीब 400 ज़िंदगियां ख़त्म हो गई। क़रीब ढाई लाख लोग बेघर हो गए। क़रीब 20 हज़ार करोड़ का नुकसान हो चुका है और ऐसा ज़ख्म मिला भगवान के इस देश को जिसे भरने में लंबा अरसा गुज़र जाएगा।

कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने केरल की तबाही का सीधा ठीकरा सूबे की सत्ताधारी लेफ्ट सरकार पर फोड़ा है। विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला के मुताबिक़ ये मानव निर्मित आपदा है। केएसईबी और मानव संसाधन मंत्रालय इस आपदा के लिए पूरी तरह ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने लोगों को जानकारी तक नहीं दी। सुरक्षा के लिहाज़ से लोगों को कुछ नहीं बताया गया और जब आधी रात को सब सो रहे थे तो उन्होंने 34 डैम के सारे गेट खोल दिए।

वैसे रमेश चेन्निथला जो सवाल उठा रहे हैं वैसे सवाल पहले भी उठे हैं। सवाल ये कि क्या वाकई बांधों के संचालन में गड़बड़ी हुई। क्या बांधों से धीरे-धीरे पानी छोड़ने की बजाय इंतजार किया गया और जब बांध लबालब हो गए तब गेट खोले गए जिनसे निकली तांडव मचाती लहरों ने सैकड़ों जिंदगियों को रौंद दिया। रमेश चेन्निथला जिस केएसईबी यानी केरल राज्य बिजली बोर्ड को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं उसी के हाथों में बांधों की देखरेख का जिम्मा है। इसीलिए आरोप है कि तबाही के लिए ज़िम्मेदार केरल सरकार है और मांग है कि मामले की जांच हो।

इस बीच नासा ने भी उपग्रह से मिले आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए एक वीडियो जारी किया है जिससे अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि केरल में कैसे आसमानी आफत ने सब कुछ तहस नहस किया होगा। ये वीडियो 13 से 20 अगस्त के बीच मिले बारिश के आंकड़ों से बनाया गया है जिसमें केरल को लाल रंग में दिखाया गया है। नासा के मुताबिक़ हिमालय की भौगोलिक स्थिति और पश्चिमी घाट के कारण दक्षिणी पश्चिमी तट पर भारी बारिश हो रही है और केरल भी कुदरत के इस कहर का शिकार बना है।

विपक्ष का भी आरोप है कि केरल को लेकर पहले ही कई अलर्ट जारी थे लेकिन केरल सरकार सोती रही। मौसम को लेकर कई तरह के पूर्वानुमान थे, कई तरह की भौगोलिक स्थिति थी। मौसम को लेकर कई भविष्याणी थीं लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और कोई भी ज़रूरी कदम नहीं उठाए। साफ है, अभी केरल में बाढ़ से डूबे तमाम ज़िलों से पानी उतरा भी नहीं है कि सियासी पारा चढ़ने लगा है और सवाल वही है कि क्या केरल में ये तबाही वाकई इंसानी है या कुदरत का कहर?

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