Friday, April 26, 2024
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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: अब अबला नहीं आत्मनिर्भर है नारी

बालिकाओं की संख्या कम होने, बाल विवाह, दहेज, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, अनेक स्तरों पर शोषण और भेदभाव जैसी बुराइयां मौजूद हैं। इन बुराइयों के खिलाफ एक जंग की जरूरत है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 07, 2018 19:16 IST
women pilot- India TV Hindi
women pilot

नई दिल्ली: भारतीय शास्त्रों में कहा गया है कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता वास करते हैं। भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान काफी ऊंचा है। वैदिक युग में समाज में नारी की भूमिका बेहद अहम थी। लेकिन कालांतर में पुरुषों की वर्चस्ववादी सोच ने महिलाओं को हाशिए पर लाकर खड़ा कर दिया। महिलाओं को अबला समझा जाने लगा। धीरे-धीरे महिलाएं अपने सम्मान के लिए आगे बढ़ने लगी और हाल के दिनों में भारत समाज के विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी उपलब्धि हासिल की। चाहे वो शिक्षा का मामला हो या खेलकूद का, हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। इसके बावजूद बालिकाओं की संख्या कम होने, बाल विवाह, दहेज, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, अनेक स्तरों पर शोषण और भेदभाव जैसी बुराइयां मौजूद हैं। इन बुराइयों के खिलाफ एक जंग की जरूरत है। 

परिवार के अंदर आज भी अधिकांश यह देखने को आया है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलता ही नहीं। लड़की के जवान होने पर परिवार की सबसे बड़ी चिंता उसकी शादी की होती है। अगर इतनी चिंता उसकी पढ़ाई को लेकर की जाए तो वह आत्मनिर्भर बनकर पूरे परिवार को एक नया रास्ता दिखा सकती है। कम उम्र में लड़कियों की शादी भी हमारे समाज की एक बड़ी समस्या है। लेकिन इन सभी समस्याओं के बीच महिलाओं ने प्रगति की रफ्तार रूकने नहीं दी है। आज जीवन के हर क्षेत्र में वे आगे बढ़ रही हैं। चाहे वह वायुसेना के फाइटर प्लेन उड़ाने की बात हो या फिर सेना में तैनात होकर देश की सेवा करने का मौका, हर जगह महिलाओं का दखल बढ़ रहा है। यह आत्मनिर्भरता की ओर उनकी उड़ान की एक अहम कड़ी है। 

सेना में महिलाओं के दखल की बात करें तो सेना के तीनों अंगों में कुल 1548 महिला अधिकारी कार्यरत हैं। 1 जुलाई 2017 तक के आंकड़ों के मुताबिक सेना में कुल 1548 महिला अधिकारी थीं। गौरतलब है कि इस आंकड़े में सेना की चिकित्सा, दंत चिकित्सा और नर्सिंग से संबंधित महिला अधिकारियों की संख्या शामिल नहीं है। वहीं राज्यों की पुलिस सेवा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने पर अमल शुरू हो गया है। ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी पद आरक्षित रखे गए हैं। अन्य सरकारी नौकरियां चाहे वह केंद्र सरकार की हों या राज्य सरकार की, सभी में महिलाओं के लिए स्थान रिजर्व रखे गए हैं।

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